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क्या वक्षस्थल दिखाकर एमा वाटसन एंटी फ़ेमिनिस्ट हो गईं?

हैरी पॉटर फिल्मों से जुड़ी रहीं अभिनेत्री एमा वॉटसन ने एक पत्रिका में अपने वक्षस्थल का एक हिस्सा दिखाकर सोशल मीडिया पर विवाद छेड़ दिया है.
हैरी पॉटर फिल्मों में एमा ने हरमायनी का बेहद लोकप्रिय किरदार निभाया है.

‘वैनिटी फ़ेयर’ पत्रिका के लिए किए फ़ोटोशूट की तस्वीरों पर विवाद ये शुरू हो गया है कि फ़ेमिनिस्ट (महिलावादी या नारी अधिकारवादी) होने का मतलब क्या है.

रेडियो प्रेज़ेंटर जुलिया हार्टले ब्रीवर ने ट्विटर पर लिखा है, “वो शिकायत करती हैं कि महिलाओं को सेक्सुअलाइज़ (कामुक अभिव्यक्ति) किया जा रहा है और फिर अपने काम में वो ख़ुद को ही सेक्सुअलाइज़ कर रही हैं.”

सोनम और सनी लियोनी से जुड़ा विवाद

ऐसे विवाद भारत में भी हुए हैं. अभिनेत्री सनी लियोनी की उनकी ‘बोल्ड’ भूमिकाओं को लेकर आलोचना होती रही है. अभी हाल ही में अभिनेत्री सोनम कपूर की एक तस्वीर को लेकर भी सोशल मीडिया पर ख़ासी चर्चा हुई थी.
बॉलीवुड में समझौते करने पड़ते हैं
सनी लियोनी ने एक बार बीबीसी को दिए इंटरव्यू में कहा था कि मसला महिलाओं को ऑब्जेक्टिफ़ाइ करने का नहीं है क्योंकि ऐसा तो पुरुषों के साथ भी होता है.

उन्होंने कहा था, “हम यहां पुरुषों का भी तो उपभोग ही करते हैं, क्या आप ऋतिक रोशन को शर्ट उतारते नहीं देखते? हम (अभिनेता) ब्रान्ड हैं और हमारे दिखने के तरीके ही हमारे ब्रान्ड की पहचान हैं. अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो हमें देखेगा कौन? यह फ़ील्ड की ज़रूरत है और यह ऑब्जेक्टिफ़िकेशन नहीं आपके-हमारे भाव से जुड़ा है.

कुछ दिन पहले एक इवेंट में अभिनेत्री सोनम कपूर की एक ड्रेस को लेकर सोशल मीडिया में काफ़ी चर्चा हुई थी. इस तस्वीर में सोनम कपूर के वक्ष का कुछ हिस्सा नज़र आ रहा है.

तस्वीरें छापने पर अख़बारों पर भड़कीं सोनम

लेकिन जिस तरीक़े से इस पर प्रतिक्रिया हुई थी उसपर सोनम भड़क गई थीं.उन्होंने लिखा था, “सेक्सिस्ट बकवास. फ़ोटोग्राफर्स ने ये तस्वीरें अपने तरीके से लीं. और साफ़-सी बात है, मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. मुझे अपने शरीर पर फख्र है.

एमा का रूख

वहीं एमा वॉटसन ने अपनी तस्वीर पर हुए विवाद पर कहा कि ‘महिला-विरोधी’ बताए जाने के आरोपों को लेकर वो कनफ़्यूज़्ड हैं और समझ नहीं पा रही हैं कि इसका मतलब क्या है.

अब सवाल उठ रहे हैं कि अपने वक्ष का प्रदर्शन कर भी क्या आप फ़ेमिनिस्ट हो सकती हैं?
लिंग समानता और महिला अधिकारों के लिए काम करनेवाली फ़ॉसेट सोसायटी की मुख्य कार्यकारी सैम स्मिदर्स कहती हैं, “एमा वॉटसन ने महिलाओं और युवतियों के लिए हम सबों से ज़्यादा किया है. मुझे नहीं लगता कि उनके इस फ़ैसले के लिए हमें ऐसी निंदा करनी चाहिए.”
सबसे ख़तरनाक है एमा वॉटसन की ख़ूबसूरती

सैम कहती हैं, “वो एक सशक्त महिला हैं जो एक सुंदर तस्वीर के लिए पोज़ कर रही हैं. उनका कोई शोषण नहीं हो रहा बल्कि वो समझ रही हैं कि वो क्या कर रही हैं. ये उनके शरीर का एक पॉज़ीटिव इस्तेमाल है.”
ब्रिटेन की चैरिटी संस्था गर्लगाइडिंग की सदस्य विक्टोरिया जेनकिंसन मानती हैं कि इस फ़ोटोशूट के ज़रिए एमा वॉटसन की शख्सियत को भुनाने और महिला अधिकारों के लिए किए गए उनके काम को छोटा करने की कोशिश की गई है.
उन्होंने कहा,” इस शूट से ना तो न तो वो ग़लत साबित होती हैं और न ही फ़ेमिनिस्ट के रूप में उनका काम छोटा हो जाता है. महिला के रूप में हम सभी को इस वक्त एक होकर लिंग समानता के लिए संघर्ष की आज सबसे ज़्यादा ज़रूरत है.”
विक्टोरिया कहती हैं, “मैं नहीं समझ पाती कि लोगों को क्यों ऐसा लगता है कि वो किसी महिला को कह सकते हैं कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए और मैं एमा की इस बात से भी सहमत हूं कि आलोचक ये नहीं समझ पाए कि असल में वो क्या कहना चाहती हैं. एक महिला को ये अधिकार होना चाहिए कि वो चुन सके कि वो क्या करना चाहती है. 2017 में फ़ेमिनिज़्म का यही मतलब होना चाहिए.”
लेकिन वेस्ट इंग्लैंड यूनिवर्सिटी में फ़ेमिनिज़्म पर शोध कर रही डॉक्टर फ़िन मैके ऐसा नहीं मानती कि फ़ेमिनिज़्म का मतलब ये निकाला जाए कि इससे महिलाओं को चुनने का अधिकार मिल जाता है बल्कि फ़ेमिनिज़्म एक सामाजिक न्याय से जुड़ा आंदोलन है.
हैरी की हरमायनी पर ऑनलाइन हमला
वो कहती हैं, “एमा कह रही हैं कि फ़ेमिनिज़्म का मतलब ‘चुनना’ और कुछ भी ‘चुनने की आज़ादी’ है, जो कि एक बकवास है. कुछ महिलाएं अजीब बातें चुनती हैं, कुछ वैसी पार्टियों के लिए काम करना चाहती हैं जो महिलाओं के अबॉर्शन (गर्भपात), स्वास्थ्य और कल्याण जैसे मसले को नकारती हैं.”
हालांकि डॉक्टर फ़िन ये नहीं मानतीं कि एमा का वैनिटी फ़ेयर के लिए पोज़ करने का मतलब ये है कि वो फ़ेमिनिस्ट नहीं हैं.
“अगर वो अपनी पहचान फ़ेमिनिस्ट के रूप में करती हैं और महिला अधिकारों के लिए काम करती हैं तो अपना काम करने से उनके ये उद्देश्य कमज़ोर नहीं हो जाते. मेरे विचार से उनकी ये कहने की कोशिश कि फ़ोटोशूट में होना और अपना ब्रेस्ट दिखाना फ़ेमिनिस्ट कार्य है तो ये दोनों दो अलग बातें हैं.”

लंदन में महिला अधिकार कार्यकर्ता

डॉक्टर मैके मानती हैं कि फ़ेमिनिज़्म को प्रमोट करने के लिए अगर शरीर की बजाए आवाज़ का इस्तेमाल किया जाए तो ज़्यादा प्रभावी हो सकता है.
“आज की संस्कृति में सबसे बड़ी बात जो महिलाएं कर सकती हैं वो ये कि वो कपड़ों में होकर अपनी आवाज़ उठाएं और अपना पक्ष रखें.”
एमा वॉटसन से जुड़े इस विवाद ने सवाल उठा दिया है कि फ़ेमिनिस्ट होने का मतलब आख़िर क्या है.
समान अधिकार के लिए काम करनेवाले समूहों और फ़ेमिनिस्टों का कहना है कि चर्चा महिला शरीर को ऑब्जेक्ट बनाने और असमानता पर होनी चाहिए.
डॉक्टर मैके कहती हैं कि डिबेट को एक लोकप्रिय शख्सियत के वक्ष दिखाने तक ही सीमित कर दिया गया जबकि चर्चा महिलाओं की आर्थिक स्थिति और उनकी सेवाओं के लिए उन्हें दिए जानेवाले कम पैसों की होनी चाहिए.
वो कहती हैं, “एक हॉलीवुड सेलेब्रिटी अपने वक्ष का एक हिस्सा दिखा रही हैं ये मेरे लिए कोई बड़ी चिंता की बात नहीं.”
वहीं सेक्सिस्ट न्यूज़ का कहना है, “लोगों को सोचने की ज़रूरत है कि इस एक फ़ैशन फ़ोटोग्राफ़ ने इतना बवाल क्यों खड़ा कर दिया है. जब तक लोगों का ध्यान इस बात पर रहेगा कि महिला को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए तब तक समस्या रहेगी. दरअसल किसी एक व्यक्ति पर ध्यान देने की बजाए इस पूरे मसले को ठीक से समझने की ज़रूरत है.

साभार :बीबीसी

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