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भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के पुत्र के बाद अब मोदी के मंत्री नितिन गड़करी के करीबी ने करोड़ों लूटे

नई दिल्ली .देश को भ्रस्ट्राचार से मुक्ति दिलाने व न खाएंगे -न खाने देंगे का नारा देने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी के लम्बे चौड़े दावे को उन्ही के दल भाजपा के अध्यक्ष पुत्र जय शाह की अकूत कमाई के सार्वजनिक होने के बाद अब पूर्व भाजपा अध्यक्ष व मोदी मंत्री मंडल के बरिष्ठ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का नाम भी अब घोटाले में आ गया है.

द हिन्दू की एक खबर के मुताबिक मंत्री नितिन गडकरी के निजी सचिव वैभव डांगे ने सरकारी पद पर रहते हुए एक कंपनी खोली और उस कंपनी को गडकरी के मंत्रालय की ओर से फायदा भी पहुँचाया गया है.वैभव डांगे गडकरी के पुराने वफादार माने जाते हैं. पांच साल से उनसे जुड़े हैं. मोदी सरकार में जब गडकरी मंत्री बने तो उन्होंने वैभव को अपना निजी सचिव बनाया. उनकी नियुक्ति 8 अगस्त 2014 को हुई. उन्होंने महाराष्ट्र के मोतीराम किशनराव के साथ मिलकर इंडियन फेडरेशन ऑफ ग्रीन एऩर्जी (IFGE) की स्थापना किया .

उक्त कंपनी में दोनों के पास कंपनी के 50- 50 प्रतिशत शेयर हैं. कंपनी का पंजीकरण सेक्शऩ 8 के तहत हुआ. जिसका मतलब होता है कि कंपनी का संचालन प्राफिट के लिए नहीं होता. डांगे 9 अक्टूबर 2014 से इस कंपनी में निदेशक के पद पर थे.

डांगे एक सरकारी सचिव हैं इसलिए उनपर कुछ कानून लागू होते हैं. उनपर सेंट्रल सिविल सर्विसेज का को़ड ऑफ कंडक्ट लागू होता है. इसके मुताबिक निजी सचिव का कंपनी संचालन करना नियम 12 का उल्लंघन है. जिसमें कहा गया है कि कोई भी सरकारी मुलाज़िम फंड कलेक्शन से जुड़े किसी भी संस्थान में योगदान नहीं देगा.IFGE के कंपनियों के रजिस्ट्रार के दस्तावेजों के अनुसार ये कंपनी सरकार के विभागों और सरकारी स्वामित्व वाली संस्थाओं से फण्ड ले सकती है.

FGE की बैलेंसशीट के मुताबिक 2015 में कंपनी के पास 74 लाख रुपये हाथ में और 73 लाख रुपये कार्पुस फण्ड में थे. अब 2016 में ये कार्पुस फण्ड बढ़कर 1 करोड़ 33 लाख हो गया है.कार्पुस फण्ड वो पैसा होता है जो किसी कंपनी या फर्म को खराब स्तिथि में चलाने के लिए रखा जाता है.
कंपनी की बैलेंसशीट में विवरण दर्ज है-Treatment of Grant in Aid has been made in the accounts as per AS-12 Accounting for Government Grants।”
कंपनी की वेबसाइट देखकर पता चलता है कि सचिव वैभव की कंपनी गडकरी के मंत्रालय के साथ मिलकर तमाम विषयों पर कॉंफ्रेंस और सेमिनार आयोजित करती है. गडकरी के अधीन आने वाले सार्वजनिक उपक्रम भी इन आयोजनों में शामिल हैं. अप्रैल 2016 में इंदौर में हुआ ग्लोबल बंबू समिट भी इसी में आता है. इन सरकारी आयोजनों के माध्यम से कंपनी पैसा कमाती है.

यही नहीं मई 2017 में कंपनी ने एक और कार्यक्रम आयोजित किया. नाम था- ‘Conclave on Green Ports & Oil Spill Management’. यह कार्यक्रम मुंबई के शिपिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया ऑडिटोरियम में आयोजित हुआ था. जिसमें शिपिंग मिनिस्ट्री ने अहम भूमिका निभाई.

मंत्री गडकरी और सुरेश प्रभु जो सचिव डांगे की फर्म के संरक्षक के रूप में सूचीबद्ध लोगों में शामिल हैं. नितिन गडकरी ने इस मामले पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है.

जब द हिंदू ने पक्ष जानने के लिए सात नवंबर को हिंतों के टकराव को लेकर डांगे को कई सवाल भेजे तो नौ दिन बाद 16 नवंबर को उन्होंने दर्शाया कि वह कंपनी डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे चुके हैं. रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज में दर्ज विवरण के मुताबिक वैभव कंपनी के डायरेक्टर पद से 13 सितंबर 2017 को अलग हो चुके हैं.

फिरहाल इस मुद्दे पर बिपक्ष जांच की मांग कर हुए घोटाले के पर्दाफाश की मांग कर रहा है .

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