जब CIDCO ने बिवलकर परिवार को 53,000 वर्ग मीटर भूमि आवंटित करने का फैसला किया, तो किसी को लगा नहीं था कि यह एक ऐसा मामला बन जाएगा जो न केवल राजनीति के तूफान में डूब जाएगा, बल्कि जंगलों की सीमाओं और नियमों के बीच एक गहरा विवाद भी खड़ा कर देगा। यह घटना नवी मुंबई के उल्वे क्षेत्र में सर्वे नंबर 51 पर केंद्रित है — जहाँ एक तरफ बिवलकर परिवार अपने अधिकारों की बात कर रहा है, तो दूसरी तरफ महाराष्ट्र जंगल विभाग ने चेतावनी दी है कि यह भूमि जंगली क्षेत्र का हिस्सा है। और अब, सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले में शामिल हो चुका है।
क्या बिवलकर परिवार को भूमि आवंटन का अधिकार है?
बिवलकर परिवार का दावा है कि उनकी भूमि को CIDCO ने नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए जब्त किया था, और इसके बदले में उन्हें उर्बन लैंड क्लीमिंग (ULC) एक्ट के तहत जब्त की गई भूमि के 16.5 प्रतिशत का भुगतान मिलना चाहिए। यह दावा नए नहीं है — 2018 के बाद से इस मामले पर विवाद चल रहा है। परिवार के प्रतिनिधियों का कहना है कि उन्हें महाराष्ट्र उच्च न्यायालय में इस मामले में फैसला मिल चुका है। लेकिन CIDCO ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी है। अब यह मामला न्याय के सबसे ऊँचे दरवाजे पर खड़ा है।
हालाँकि, CIDCO का कहना है कि भूमि आवंटन की प्रक्रिया पूरी तरह से नियमों के अनुसार हुई। 1 मार्च, 2024 को राज्य सरकार ने विधि विभाग की सलाह के बाद बिवलकर परिवार को आवंटन के लिए योग्य घोषित किया था। उसके बाद CIDCO ने सभी दस्तावेजों की जाँच की और आवंटन की पुष्टि की। यह बात अब तक कोई नहीं नकारता।
जंगल विभाग की चेतावनी: भूमि का हिस्सा जंगली क्षेत्र है
लेकिन यहाँ ट्विस्ट है। अक्टूबर और दिसंबर 2024 में, महाराष्ट्र जंगल विभाग ने CIDCO को दो औपचारिक पत्र भेजे — दोनों में एक ही बात कही गई: बिवलकर के आवंटन के लिए निर्धारित 53,000 वर्ग मीटर में से कुछ हिस्सा जंगली क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यह नियमों के खिलाफ है। जंगली भूमि को निजी उद्देश्यों के लिए आवंटित नहीं किया जा सकता।
CIDCO ने इस बात को गंभीरता से लिया। उन्होंने एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की और राज्य सरकार को भेज दी — अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ है। आवंटन की प्रक्रिया अभी ठहर गई है। यह बात अहम है क्योंकि अगर जंगल विभाग का दावा सच हुआ, तो यह सिर्फ एक आवंटन का मामला नहीं, बल्कि एक बड़ा पर्यावरणीय उल्लंघन का मामला बन जाएगा।
रोहित पावर का खुला चुनौतीपूर्ण आह्वान
इस बीच, रोहित पावर, नेशनलिस्ट कॉंग्रेस पार्टी (शरद पवार फ्रैक्शन) के सांसद, ने एक YouTube वीडियो जारी किया — ‘Bivalkar Yanna Jamīn Kashī Dilī? CIDCO Adhikāryānnā Vichāraṇār’ (बिवलकर को भूमि कैसे दी गई? CIDCO अधिकारियों से पूछूंगा)। इस वीडियो में उन्होंने सीधे CIDCO के अधिकारियों को जवाब देने की चुनौती दी। वीडियो को अब तक 6,400 बार देखा जा चुका है।
रोहित पावर का कहना है: "यह न सिर्फ एक भूमि आवंटन का मामला है, बल्कि एक ऐसा निर्णय है जिसमें पारदर्शिता का अभाव है। यदि यह नियमों के अनुसार हुआ है, तो सबूत दिखाएं। अगर नहीं, तो जिम्मेदारों को जवाबदेह ठहराया जाए।"
महाविकास अघाडी का आरोप: 50,000 करोड़ रुपये का भूमि घोटाला?
महाविकास अघाडी ने एक सामाजिक संगठन के साथ मिलकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जहाँ उन्होंने एक भयानक आरोप लगाया — बिवलकर परिवार और CIDCO के बीच 50,000 करोड़ रुपये का भूमि घोटाला हुआ है। यह आंकड़ा बहुत बड़ा है। लेकिन अभी तक कोई दस्तावेज या बैंक लेन-देन का प्रमाण नहीं सामने आया है। यह एक राजनीतिक आरोप लगता है, जो विवाद को और गरम कर रहा है।
यहाँ एक बात स्पष्ट है: अगर बिवलकर परिवार को 16.5 प्रतिशत भूमि का अधिकार है, तो यह नियम के अनुसार है। लेकिन अगर वह भूमि जंगली क्षेत्र में है, तो यह नियम के खिलाफ है। यही टक्कर है — नियम के बीच की टक्कर।
अगला कदम: सुप्रीम कोर्ट और राज्य सरकार का फैसला
अब यह सब कुछ सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर कर रहा है। अगर कोर्ट बिवलकर परिवार के लिए फैसला करता है, तो CIDCO को नए नियमों के तहत भूमि आवंटित करनी होगी — लेकिन अगर जंगल विभाग का दावा सही साबित होता है, तो आवंटन रद्द हो सकता है।
राज्य सरकार भी अब दबाव में है। उन्हें यह फैसला करना होगा कि क्या वे नवी मुंबई के विकास को प्राथमिकता देंगे, या पर्यावरणीय कानूनों का पालन करेंगे। यह एक ऐसा पल है जहाँ विकास और न्याय का टकराव देखने को मिल रहा है।
पृष्ठभूमि: नवी मुंबई हवाई अड्डा और भूमि जब्ती का इतिहास
नवी मुंबई हवाई अड्डे का विकास 2010 के दशक से शुरू हुआ था। इसके लिए लगभग 1,500 एकड़ भूमि जब्त की गई — जिसमें हजारों परिवार शामिल थे। CIDCO को उन्हें नियमों के अनुसार भूमि या नकदी का भुगतान करना था। लेकिन अक्सर यह भुगतान देर से होता था, या फिर भूमि का आवंटन गलत जगह होता था।
2019 में, एक रिपोर्ट में बताया गया था कि CIDCO ने लगभग 12% भूमि आवंटन में गलतियाँ की थीं। इसलिए अब जब बिवलकर मामला सामने आया है, तो लोग यही सोच रहे हैं — क्या यह एक अपवाद है, या यह एक आदत बन चुकी है?
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
बिवलकर परिवार को भूमि आवंटन का कानूनी अधिकार क्यों माना जा रहा है?
बिवलकर परिवार की भूमि को CIDCO ने नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए जब्त किया था। उर्बन लैंड क्लीमिंग (ULC) एक्ट के अनुसार, जब्त की गई भूमि के 16.5% का भुगतान आवंटन के रूप में दिया जाना चाहिए। उच्च न्यायालय ने इस अधिकार को मान्यता दे दी है, लेकिन CIDCO ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी है।
जंगल विभाग का आरोप क्या है और यह कितना मजबूत है?
जंगल विभाग का आरोप है कि आवंटित भूमि का एक हिस्सा जंगली क्षेत्र में आता है, जिसे कानूनी रूप से निजी आवंटन के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता। इसके सबूत जमा करने के लिए विभाग ने भूमि के नक्शे और जंगल विभाग के रिकॉर्ड्स का उपयोग किया है। यह आरोप बहुत मजबूत है, क्योंकि जंगली भूमि के आवंटन के खिलाफ भारतीय वन अधिनियम, 1980 का स्पष्ट उल्लंघन होगा।
50,000 करोड़ रुपये का घोटाला क्या है और इसका कोई प्रमाण है?
यह आरोप महाविकास अघाडी और एक सामाजिक संगठन ने लगाया है, लेकिन अभी तक कोई बैंक लेन-देन, भुगतान रसीद या भूमि मूल्यांकन रिपोर्ट सामने नहीं आई है। यह एक राजनीतिक आरोप लगता है, जिसका उद्देश्य विवाद को बढ़ाना है। भूमि का बाजार मूल्य लगभग 500-700 रुपये प्रति वर्ग फुट है — इसके आधार पर 53,000 वर्ग मीटर का मूल्य लगभग 1,200 करोड़ रुपये होगा, न कि 50,000 करोड़।
रोहित पावर की एक्शन क्यों महत्वपूर्ण है?
रोहित पावर एक सांसद हैं और उनके वीडियो ने इस मामले को सार्वजनिक रूप से उठाया। उनकी चुनौती CIDCO के अधिकारियों को जवाब देने के लिए दबाव बना रही है। अगर वे वास्तविक दस्तावेज और अधिकारियों के बयान लेकर आते हैं, तो यह मामला एक जांच के लिए आगे बढ़ सकता है।
अगर सुप्रीम कोर्ट बिवलकर परिवार के पक्ष में फैसला करता है, तो क्या होगा?
अगर सुप्रीम कोर्ट बिवलकर परिवार के पक्ष में फैसला करता है, तो CIDCO को नियमों के अनुसार भूमि आवंटित करनी होगी। लेकिन अगर जंगल विभाग का दावा सच है, तो आवंटन रद्द हो सकता है। इस स्थिति में, सरकार को एक वैकल्पिक भूमि या नकदी का भुगतान करना होगा — जिससे लागत और समय दोनों बढ़ जाएगा।
इस मामले से नवी मुंबई के विकास पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
इस मामले से नवी मुंबई के विकास की योजनाओं पर गहरा असर पड़ सकता है। अगर भूमि आवंटन में नियमों का उल्लंघन पाया जाता है, तो अन्य आवंटनों पर भी सवाल उठ सकते हैं। इससे निवेशकों को भी डर लग सकता है। लेकिन अगर नियमों का पालन किया जाता है, तो यह नवी मुंबई के लिए एक न्यायपालिका की ताकत का संकेत होगा।