रिपोर्ट: आरव
दुबई की गर्मी, ICC अकादमी के टर्फ विकेट और एक तेज़ डिलीवरी—एक पल में ऑफ-स्टंप हवा में था, और सामने थे भारत के उप-कप्तान Shubman Gill। एशिया कप 2025 में UAE के खिलाफ ओपनर से एक दिन पहले हुए वैकल्पिक ट्रेनिंग सेशन में Gill को एक लोकल नेट बॉलर ने बेहतरीन लेंथ से चकमा दिया। दिलचस्प यह रहा कि उसी सेशन में वे कवर ड्राइव्स गुनगुना रहे थे—बैलेंस, टाइमिंग और अंडर-चेक फॉलो-थ्रू—सब कुछ फ्रेम में था। फिर भी एक तेज़ गेंद ने बैट-पैड गैप ढूंढ लिया और ऑफ-स्टंप उखड़ गया।
सेशन की शुरुआती आधे घंटे में Gill की कहानी टच बनाम टेम्पो की रही। उन्होंने एक किनारे के बाद बल्ला बदला, ड्राइव और फॉरवर्ड-डिफेंस कमाल के रहे, पर शुरुआती बड़े शॉट्स मिस-टाइम हुए—दो-तीन लॉफ्टेड ड्राइव हवा में डगमगाए और एक शॉर्ट-आर्म पुल में सामान्य तेज़ी नहीं दिखी। नेट्स में ऐसा होना गैर-आम नहीं है—खासकर जब बैटर पावर हिटिंग की रेंज बढ़ाने की कोशिश कर रहा हो और अलग बैट-वेट/स्विंग-आर्क टेस्ट कर रहा हो।
दुबई में वैकल्पिक सेशन की बड़ी तस्वीर
दिन का असली तमाशा Abhishek Sharma ने लगाया। बाएं हाथ के ओपनर ने करीब एक घंटे की बैटिंग में 25-30 छक्के जड़े—वह भी बगैर जरूरत से ज्यादा ताकत लगाए। उनका फुटवर्क कॉम्पैक्ट था, सिर स्थिर, और इम्पैक्ट के वक्त हाथों की स्पीड गजब की। ऊंचे और लंबे सिक्सेज नेट्स के बाहर तक गए—कई गेंदें प्रैक्टिस एरिया की बाउंड्री से पार। रेंज-हिटिंग में उन्होंने काउ-कॉर्नर से लॉन्ग-ऑफ तक एंगल्स बदले, स्पिन और मीडियम पेस—दोनों पर एक जैसी कमांड दिखाई।
यह वैकल्पिक ट्रेनिंग थी, इसलिए कई सीनियर नाम आराम पर रहे—Jasprit Bumrah, Kuldeep Yadav, Sanju Samson और पेसर Harshit Rana नेट्स में नहीं दिखे। वहीं लेफ्ट-आर्म पेसर Arshdeep Singh ने स्ट्रेंथ एंड कंडिशनिंग कोच Adrian Le Roux की निगरानी में फिटनेस ड्रिल्स कीं—स्प्रिंट सेट्स, मोबिलिटी वर्क और हाइड्रेशन स्टॉप्स के साथ हाई-ह्यूमिडिटी कंडीशन का अनुकूलन। टीम मैनेजमेंट का फोकस साफ था: टेम्पो वाले फॉर्मेट में वर्कलोड मैनेजमेंट और माइक्रो-स्किल्स की धार।
दुबई की विकेट आमतौर पर हार्ड और ट्रू रहती है, पर नेट्स में लोकल बॉलर्स के खिलाफ बैटर्स को अलग तरह की परीक्षा मिलती है। ये बॉलर सतह की आदत रखते हैं, लो-स्किड या अतिरिक्त पकड़ की सूक्ष्मता पढ़ लेते हैं और कभी-कभी पुराने Kookaburra से भी कठिन एंगल्स निकाल देते हैं। ऐसे में क्लीन बोल्ड जैसा क्षण ज्यादा चेतावनी कम और ‘लिमिट्स पुश’ करने का संकेत ज्यादा है—नेट्स का मकसद ही वही है।
- Gill: ड्राइविंग शानदार, बड़े शॉट्स की ट्यूनिंग जारी; एक नेट-बॉलर की खूबसूरत लेंथ से क्लीन बोल्ड।
- Abhishek: एक घंटे में 25-30 छक्के; टाइमिंग और हाथ-आंख समन्वय पर भरोसा।
- सीनियर्स: Bumrah, Kuldeep, Samson, Harshit—आराम पर; योजनाबद्ध वर्कलोड मैनेजमेंट।
- Arshdeep: फिटनेस-फर्स्ट सेशन, लू-रू के साथ कंडीशनिंग पर जोर।
- कंडीशंस: गर्मी और नमी में रिद्म ढूंढना; मैच डे के ‘रिंग ऑफ फायर’ में लाइट्स के नीचे स्किड फैक्टर की तैयारी।
टीम बैलेंस, रोल्स और मैच से मिली झलक
Gill का T20I में पिछला मैच जुलाई 2024 (श्रीलंका दौरा) पर था। एक साल से ज्यादा बाद वे एशिया कप 2025 में उप-कप्तान के रूप में लौटे हैं—यानी प्लेइंग XI में भरोसा पक्का। असली सवाल—वे पारी की शुरुआत करें या नंबर-3 पर एंकर/एग्रेसर हाइब्रिड रोल लें? बाएं-दाएं का खेल, पावरप्ले में जोखिम की सीमा और मिडल-ओवर्स की प्रोजेक्शन—इन तीनों पर यह फैसला टिका है। Abhishek अगर इसी टच में हैं, तो टीम पावरप्ले में फील्ड रिस्क बढ़ाने से नहीं डरेगी, जबकि Gill नंबर-3 पर फ्लेक्सिबल टेम्पो के साथ इंश्योरेंस बन सकते हैं। उलटा कॉम्बो भी उतना ही आकर्षक है—Gill की क्लासिकल शुरुआत और Abhishek का हाई-सीलिंग अटैक।
मैच डे ने भी कुछ संकेत दिए। भारत ने UAE को 57 पर समेट दिया—सीमित-ओवर क्रिकेट में ऐसा स्कोर मैदान की कहानी भी बताता है: अच्छी लेंथ और शार्प फील्ड सेटिंग ने काम किया। छोटे लक्ष्य के पीछा में Abhishek ने पहले ओवर में 10 रन ले लिए, तो Gill को क्रीज पर आने का मौका देर से मिला। लेकिन जो शॉट उन्होंने खेला, वही सुर्खियों के लिए काफी था—UAE के लेफ्ट-आर्म पेसर Muhammad Rohid Khan के खिलाफ डाउन-द-ट्रैक जाते हुए फाइन-लेग के ऊपर फ्लिक-छक्का। कमेंट्री बॉक्स में Wasim Akram की उत्साही प्रतिक्रिया बताती है कि शॉट की क्वालिटी पर कोई बहस नहीं।
टेक्निकल नजर से देखें, Gill का नेट्स में बड़े शॉट्स मिस-टाइम होना और फिर मैच में वही रेंज निकाल लेना बताता है कि उनकी बैट-स्विंग कैलिब्रेशन पर काम चल रहा था—बैट बदलना, स्विंग-आर्क एडजस्ट करना और रिलीज-पॉइंट पर स्मूदनेस बढ़ाना। नेट्स इंटेंट के लिए, मैच एग्जीक्यूशन के लिए—यह फर्क टेस्ट में भी काम आता है, T20 में तो और ज्यादा।
Abhishek की रेंज-हिटिंग इस फॉर्मेट की धड़कन है। उनका मूवमेंट फ्रंट-फुट पर, कंधे की ओपनिंग सीमित, और इम्पैक्ट के बाद फुल एक्सटेंशन—यही वजह है कि वे गेंद को ‘मसल’ नहीं करते, बस उड़ाते हैं। UAE के खिलाफ यह दृश्य शानदार था, पर असली वैलिडेशन वह होगा जब सामने हाई-टॉप-एंड पेस और चतुर स्पिन अटैक होगा। फिलहाल, जो दिखा वह यह कि वे लंबी बाउंड्री के बावजूद फील्ड को तोड़ सकते हैं।
वर्कलोड मैनेजमेंट की कहानी भी उतनी ही अहम है। वैकल्पिक सेशन में सीनियर्स का आराम लेना बताता है कि टीम ‘पीक ऑन मैच डे’ फिलॉसफी पर है—खासकर शॉर्ट फॉर्मेट के बैक-टू-बैक मैचों में। Arshdeep का कंडीशनिंग-फोकस सेशन डेथ-ओवर्स रोल के लिए जरूरी है—लेट ओवर्स में पैरों की ताजगी और रिद्म, दोनों मैच जिता सकते हैं।
दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम की रोशनी में गेंद हल्की-सी स्किड करती है और हवा में क्रॉस-ब्रीज़ भी हो सकता है। ऐसे में ड्राइव्स का एंगल और पिक-अप पुल का टाइमिंग निर्णायक बनता है। Gill- Abhishek जोड़ी के लिए यही थ्रेडलाइन है—कवर के पार ग्राउंड शॉट्स से शुरुआती स्कोरिंग और फिर रेंज-हिटिंग की ओर अपशिफ्ट। नेट्स का दिन एक संकेत था, मैच की झलक पुष्टि बनकर सामने आई।
एशिया कप की शुरुआत में UAE के खिलाफ सहज जीत मनोबल बढ़ाती है, पर टीम की नजर बड़े प्रतिद्वंद्वियों और नॉकआउट पर होगी। Gill की उप-कप्तानी बैटिंग ऑर्डर को स्थिरता देती है, और Abhishek की फॉर्म पावरप्ले को धार। अगला कदम—इसी टेम्पो को बेहतर अटैक्स के खिलाफ दोहराना, फील्डिंग स्टैंडर्ड ऊंचा रखना और बॉलिंग चेंजेस में साहस दिखाना। दुबई के नेट्स ने बात शुरू की थी; अब असली कहानी मैच-दर-मैच खुलेगी।