समय: छोटे बदल, बड़ा फर्क
हर किसी के पास 24 घंटे ही होते हैं, पर फर्क इस बात का है कि आप उन घंटों को कैसे इस्तेमाल करते हैं। क्या आपको अक्सर लगे कि दिन में बहुत कुछ करना था, पर कुछ भी पूरा नहीं हुआ? यह आम बात है। बस आपको कुछ सरल आदतें अपनानी होंगी जो तुरंत काम आएं।
समय बचाने के आसान तरीके
पहली बात: प्राथमिकता तय करिए। दिन की शुरुआत में तीन सबसे जरूरी काम चुनिए और उन्हें पहले खत्म करिए। ये छोटे कदम दिन भर की दिशा बदल देते हैं। दूसरे, समय ब्लॉकिंग अपनाइए—मालूम करें कि सुबह किसके लिए है, दोपहर किस काम के लिए और शाम किसके लिए। कामों को छोटे-छोटे हिस्सों में बाँटकर करें; इससे तनाव कम होगा और फोकस बढ़ेगा।
तीसरा, फोन और सोशल मीडिया के लिए टाइम-बॉक्स बनाइए। हर बार नोटिफिकेशन देखकर आपका एक सा घंटा गायब हो सकता है। फोन को साइलेंट पर करिए या केवल तय समय पर ही चेक करिए। चौथा, "दो मिनट का नियम" आज़माइए—अगर कोई काम दो मिनट में निपट सकता है तो तुरंत कर दें। इससे छोटे काम जमा नहीं होंगे।
समय का सही इस्तेमाल — व्यवहारिक उदाहरण
सुबह 30 मिनट जल्दी उठकर आप पढ़ाई, जिम या प्लानिंग कर सकते हैं। यात्रा के वक्त पॉडकास्ट सुनकर सीखिए। ईमेल के बजाय हर काम के लिए निश्चित समय रखें—जैसे सुबह 10-11 बजे केवल ईमेल देखना। मेल-रूटीन से काम बाधित कम होंगे और आप कंट्रोल महसूस करेंगे।
बैचिंग का तरीका अपनाएं—समान तरह के काम एक साथ करें। उदाहरण के लिए, बेंच में बिलिंग, कॉल्स या लेखन को एक साथ करिए। इससे आपके दिमाग का स्विचिंग लॉस घटेगा और काम जल्दी होगा। साथ ही, "ना" कहना सीखिए—हर अवसर पर हां कह देने से आपका समय बँट जाता है।
आराम और रीचार्ज को भी समय दीजिए। ब्रेक लेना सफलता की ताकत है, ना कि कमजोरी। 25-5 पमोदोरो टेक्निक (25 मिनट काम, 5 मिनट ब्रेक) आजमाइए—यह छोटे ब्रेक से फोकस बनाए रखने में मदद करता है। अच्छी नींद और छोटा व्यायाम भी लोगों की उत्पादकता तुरंत बढ़ा देता है।
एक आखिरी बात: प्लानिंग सिर्फ दिन के लिए नहीं, साल और महीने के लिए भी करें। लक्ष्य छोटे हिस्सों में बाँटिए और हर हफ्ते समीक्षा करिए कि क्या काम हुआ और क्या नहीं। इससे आप लगातार सुधार देखेंगे।
समाचार हमल पर "समय" टैग में आपको ऐसी ही व्यावहारिक स्ट्रेटेजीज़, रोज़मर्रा के सुझाव और जीवनशैली से जुड़े छोटे-छोटे बदलाव मिलेंगे जो असल में काम करते हैं। आज एक छोटा बदलाव करिए — और कल फर्क महसूस कीजिए।
भारतीय खाना में सैंडविच या सलाद क्यों नहीं हैं?
- आरव त्रिपाठी
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भारतीय खाना में सैंडविच या सलाद को आमतौर पर काफी ही देखा जाता है। लेकिन भारतीय रेस्तरां में आपने इनका काफी कम उपयोग देखा होगा। कारण ये हैं कि भारतीय रेस्तरां में अधिकतर में भोजन तुरन्त खाने के लिए पका हुआ होता है। कुछ यह भी है कि सैंडविच या सलाद खाने के लिए लगभग हर खाने का समान समय नहीं होता है।
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