लखनऊ. इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पूछा है कि गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ एक साथ मुख्यमंत्री और एमपी के पदों पर कैसे रह सकते हैं.कोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस मामले में अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी को सम्मन भेजा है.
जस्टिस कर्णन मामला : गुमराह कर रही देश कि मीडिया , चेन्नई के साधारण से घर में बैठे हैं कर्णन !
उक्त मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस वीरेंद्र कुमार की बेंच ने उत्तर प्रदेश के एडवोकेट जनरल राघवेंद्र सिंह की दलीलें सुनने के बाद मामले पर मुकुल रोहतगी की राय मांगी है. अदालत ने माना कि इस मामले में कोई पिछली मिसाल मौजूद नहीं है.
बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने संसद से इस्तीफा इसलिए नहीं दिया है, ताकि वो जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा के लिए वोट डाल सकें.मामले की अगली सुनवाई 24 मई को होगी.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भाजपा विधायक ने खोला मोर्चा
समाजसेवी संजय शर्मा ने सोमवार को हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करते हुए याचिका में कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य बतौर सांसद तनख्वाह और बाकी सुविधाएं ले रहे हैं. इसलिए वो उत्तर प्रदेश सरकार में सत्तानशीं नहीं हो सकते. शर्मा ने अपनी दलील के समर्थन में संसद (अयोग्यता का निवारण) अधिनियम 1959 के प्रावधानों का हवाला दिया है और योगी आदित्यनाथ के साथ केशव मौर्य की नियुक्ति रद्द करने की मांग की है.सनद रहे दोनों नेताओं ने 19 मार्च को पद एवं गोपनीयता की शपथ ली थी.
(खबर कैसी लगी बताएं जरूर. आप हमें फेसबुक, ट्विटर और गूगल प्लस पर फॉलो भी कर सकते हैं.)
आगे पढ़े ...