सोनभद्र। सोनभद्र भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है। जिले का मुख्यालय रावटर््सगंज है। सोनभद्र बहुत पहले मिर्जापुर जिले का अंग था। जिसे 4 मार्च 1989 को मिर्जापुर जिले से अलग कर एक अलग जिला बनाया गया। यह उत्तर प्रदेश राज्य का दूसरा सबसे बड़ा जिला है। जिसका क्षेत्रफल 6788 वर्ग किमी. है। यह 23.52 तथा 25.32 अंश उत्तरी अक्षांश तथा 82.72 एवं 93.33 अंश पूर्वी देशान्तर के बीच स्थित है। सोनभद्र भारत का एकमात्र ऐसा जिला है जिसकी सीमा 5 राज्यों पश्चिम में मध्यप्रदेश, दक्षिण में छत्तीसगढ़, पूर्व में झारखण्ड तथा बिहार एवं उत्तर में उत्तर प्रदेश से सटी हुई है। रावटर््सगंज, सोनभद्र जिले का प्रमुख नगर तथा जिला मुख्यालय है। जिले की जनसंख्या लगभग 15 लाख है तथा इसका जनसंख्या घनत्व उत्तर प्रदेश में सबसे कम 198 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी. है।
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सोन नदी जिले में पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है। इसकी सहायक नदी रिहन्द जो छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश के पठार से निकलती है और सोन में जिले के केन्द्र में मिल जाती है। रिहन्द नदी पर बना गोविन्द बल्लभ पंत सागर मुख्य रूप से जिले में तथा आंशिक रूप से मध्यप्रदेश राज्य में आता है।
जिले में दो भौगोलिक क्षेत्र हैं, जिनमें से क्षेत्रफल में हर एक लगभग 50 प्रतिशत है। पहला पठार है जो विंध्य पहाड़ियों से कैमूर पहाड़ियों तक होते हुए सोन नदी तक फैला हुआ है। यह क्षेत्र गंगा घाटी से 400 से 1100 फीट ऊंचा है। दूसरा भाग सोन नदी के दक्षिण में सोन घाटी है जिसमें सिंगरौली तथा दुद्धी आते हैं। यह अपने प्राकृतिक संसाधनों एवं उपजाऊ भूमि के कारण विख्यात है।
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स्वतंत्रतों मिलने के लगभग 10 वर्षों तक यक क्षेत्र (जब मिर्जापुर जिले का भाग था) अलग-थलग था तथा यहां यातायात या संचार के कोई साधन नहीं थे। पहाड़ियों में चूना पत्थर तथा कोयला मिलने के साथ-साथ क्षेत्र में पानी की बहुतायता होने के कारण यह औद्योगिक स्वर्ग बन गया। यहां पर देश की सबसे बड़ी सीमेन्ट फैक्ट्रियां, बिजली घर (थर्मल तथा हाइड्रों), एलुमिनीयम एवं रासायनिक इकाईयां स्थित है। साथ ही कई सारी सहायक इकाईयां एवं असंगठित उत्पादन केन्द्र, विशेष रूप से स्टोन क्रशर इकाईयां भी स्थापित हुई हैं।
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इसके साथ-साथ सोनभद्र एक पहाड़ी एवं नक्सल प्रभावित जिला है। इसप्रकार सोनभद्र समूचे भारत का अद्वितीय जिला है। इसकी समुद्र तल से ऊंचाई 285 फीट है। ग्रीष्म ऋतु चल रही है। पहाड़ी इलाका होने के कारण यहां पर गर्मी का असर भी अन्य स्थानों से अधिक होता है। इस जिले में देश की सबसे बड़ी बिजली घर होने के बावजूद इतनी भीषण गर्मी में भी जिले की विद्युत व्यवस्था ठीक नहीं है। गांवों के साथ-साथ शहरों में भी विद्युत आपूर्ति सुचारू एवं नियमित रूप से नहीं की जा रही है। इस जिले में भीषण गर्मी के चलते जब विद्युत की अधिक आवश्यकता है फिर भी विद्युत आपूर्ति ठीक ढंग से नहीं की जा रही है। शहरों की अपेक्षा गांवों की बिजली अत्यन्त सोचनीय है। गांवों में तो बिजली आती है और फिर कुछ समय रहने के पश्चात् पुनः कट जाती है। ऐसा पूरे दिन और रात चलता रहता है। गांवांे के लोग बिजली द्वारा सम्पन्न होने वाले किसी भी कार्य को सुचारू रूप से नहीं कर पाते हैं। इस भयंकर गर्मी का प्रकोप शहरी लोगो के साथ-साथ ग्रामीण लोगों को भी सहना पड़ रहा है। लोगों का इस भीषण गर्मी में बुरा हाल हो रहा है। शासन-प्रशासन के लोग भी इस समस्या पर ध्यान नहीं दे रहे हैं और परिणाम यह है कि विद्युत विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी अपनी मनमानी कर रहे हैं।
रिपोर्ट –गौरव कुमार
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