बस्ती .प्रत्याशी तय होने के बाद भारतीय जनता पार्टी में उपजा आक्रोश अब उग्र होता जा रहा है.एकजुट पार्टी नेताओं से सीएमएस स्कूल में बैठक कर रणनीति तय किया। सभी ने एक स्वर में कहा कि आगामी 28 जनवरी तक प्रत्याशियों के चयन पर पुनः विचार नही किया गया तो पार्टी नेतृत्व को इस बात का अहसास करा देंगे कि असली भाजपा कौन है, जो नेतृत्व को गुमराह कर ऐसे लोगों के साथ खड़ा है जो दलबदलू हैं, जिससे पार्टी के जनाधार को काफी नुकसान की संभावना है या फिर वह जो कई सालों से पार्टी के निष्ठावान रहे कार्यकर्ता। कई सालों से पार्टी के निष्ठावान रहे कार्यकर्ताओं की अनदेखी से उनके भीतर घोर निराशा है.
पूर्व जिलाध्यक्ष दयाशंकर मिश्रा ने कहा कि टिकट वितरण के संदर्भ में बस्ती की पांच विधानसभाओं की बात करें तो इनमें कुछ महीनों पहले दूसरे दलों को छोड़कर आये लोगों को प्राथमिकता दी गयी, जबकि ऐसे लोग न पुराने दल में निष्ठावान थे और न भाजपा में रहेंगे। टिकट दिलवाने में सांसद हरीश द्विवेदी की भूमिका पर सवाल खड़ा करते हुये पूर्व जिलाध्यक्ष ने कहा कि पिछले चार दिनों से सांसद का फोन बंद आ रहा है, पार्टी नेतृत्व ने जो भी निर्णय लिया सांसद को इस वक्त उनके साथ खड़ा होना चाहिये जिन्हे टिकट दिलाने का वादा किया था। निःसंदेह सांसद की भूमिका इस पूरे मामले में संदिग्ध है और यदि इसमें उनकी कोई भूमिका नही है तो पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी के सवाल पर उन्हे अपना इस्तीफा दे देना चाहिये।
पूर्व जिलाध्यक्ष यशकान्त सिंह ने भी कार्यकर्ताओं की अनदेखी पर आक्रोश जाहिर किया, कहा कि कार्यकर्ता ही स्थानीय स्तर पर पार्टी का चेहरा होता है, उसकी अनदेखी का परिणाम कभी अच्छा नही रहा, खास तौर से ऐसे दल में जहां कार्यकर्ता को पार्टी की रीढ़ मानने की परम्परा कायम है। उन्होने कहा कि जनपद की पांच विधानसभाओं में एक भी सीट कार्यकर्ता को नही दी गयी, सभी सीटों पर बाहर से आये प्रत्याशियों को प्राथमिकता दी गयी है। कहा 28 जनवरी को यह तय हो जायेगा कि नेतृत्व को गुमराह करना कितना मंहगा पड़ेगा। पूर्व जिलाध्यक्ष सुशील सिंह भी कम गुस्से में नही हैं। कहा कार्यकर्ताओं को हाशिये पर करके पार्टी नेतृत्व ने अच्छा नही किया।
बस्ती सदर सीट से टिकट के प्रबल दावेदार रहे अनूप खरे ने परिथितियों के लिये सांसद को जिम्मेदार ठहराया, कहा उन्होने कार्यकर्ताओं का सिर्फ इस्तेमाल किया, जब टिकट दिलाने की बात आयी तो ऐसे लोगों के समर्थन में खड़े हो गये जो पार्टी के लिये निष्ठावान नही कहे जा सकते। जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी का मोल सांसद को एक दिन चुकाना होगा।
कप्तानगंज से टिकट की दावेदार रही महिला नेत्री गीता शुक्ला का दर्द भी मीडिया के कैमरों पर छलक आया। उन्होने कहा काफी भरोसा था कि 33 फीसदी आरक्षण का दम भरने वाली भाजपा निश्चित रूप से उन्हे अवसर प्रदान करेगी लेकिन कई सालों के मेहनत पर आज पानी फिर गया। रूधौली विधानसभा क्षेत्र के भाजपा नेता संजय चौधरी का आक्रोश सीमायें लांघ गया, उन्होने सीधे तौर पर सांसद हरीश द्विवेदी को निशाने पर लेते हुये कहा कि उन्होने पार्टी नेतृत्व को गुमराह करने में कोई कसर नही छोड़ा, टिकट दिलाने के नाम पर लोगों का शोषण करते रहे, वक्त आया तो दलबदलुओं और फिरकापरस्त लोगों के साथ खड़े हो गये। कार्यकर्ताओं की अनदेखी का खामियाजा सांसद को भोगना पड़ेगा।
कुछ ऐसी ही प्रतिक्रिया सदर सीट से टिकट के दावेदार रहे प्रमोद चौधरी उर्फ गिल्लम, नरेन्द्र त्रिपाठी चंचल, चन्द्रमणि पाण्डेय, देवेन्द्र सिंह, विनोद शुक्ला सहित कई लोगों ने व्यक्त की। सभी ने सांसद को निशाने पर रखा। लोगों का मानना है कि सांसद ने जमीनी कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता दिया होता तो नेतृत्व उन्हे अवसर प्रदान करता। बैठक में चन्द्रशेखर मुन्ना, ममता पाण्डेय, सत्येन्द्र शुक्ल जिप्पी, फणीन्द्र भूषण पाल, बलराम सिंह, अनिल पाण्डेय, अभिषेक पाल के प्रतिनिधि के रूप में सरोज मिश्रा सहित सैकड़ो भाजपा नेता उपस्थित थे।