लखनऊ .बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में बर्षी पुलिस की लाठियों के बाद से ही देश में नारी सम्मान पर हमले की कवायद चल पड़ी है ,जगह -जगह सरकार के बिरोध में प्रदर्शन हो रहे है ,सोसल मीडिया पर भी उबाल मचा हुआ है लोग कह रहे है कि “वीसी ही मैथूनबाजों का डीन है” ,सरकारी जांच में भी विश्वविद्यालय प्रशासन को दोष सिद्ध कर दिया गया है , इस बवाल में 1200 छात्र -छात्राओं पर दर्ज मुकदमे ने उनके कैरियर पर सवाल खड़ा कर दिया है .
सोसल मीडिया और प्रदर्शन के माध्यम से लोग वीसी को हटाने की मांग कर रहे है किन्तु सवाल यह उठता है कि दसक से चली आ रही मनचलो की छेड़खानी पर विराम कैसे लगेगा .सोशल मीडिया पर यह भी चर्चा हो रही है कि मनुवादियों पुरुषो के हाथ ही हमेशा से बीएचयू की कमान रही है ,आज तक किसी महिला को वी सी की काबिलियत के नजरिये से नहीं देखा गया .
फेसबुक पर बरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल लिखते है कि, हिंदू सवर्ण पुरुषों का फैलाया हुआ कचरा है BHU! स्थापना काल से लेकर अब तक बीएचयू में कोई महिला वाइस चांसलर नहीं बनी । SC, ST, OBC या माइनॉरिटी का भी कोई वाइस चांसलर नहीं बना । बीएचयू की पतनशील संस्कृति में आम भारतीय नागरिक का कोई दोष नहीं है। लड़कियों के हॉस्टल के सामने हस्तमैथुन करना आपकी संस्कृति नहीं है।
BHU शुद्ध जनेऊ कचरा है। हिंदू सवर्ण पुरुष कचरा। मुख्य रूप से ब्राह्मण पुरुषों का कचरा।
मनुवादी व्यवस्था के हाथो संचालित बीएचयू में बिगत दशक से छेड़ खानी की घटनाये हो रही है ,छात्राओ की शिकयतो को विश्वविद्यालय प्रशासन ने हमेशा नजरंदाज कर दिया कितु अब हुए हो -हल्ला ने सबकी आखे खोल दी है .बीएचयू में लड़कियों से छेड़छाड़ करना इतना आम हो गया है कि लड़कियां इसे रूटीन समझ कर सहन करने लगी हैं. यहां लड़कियों को छेड़ना ‘लंकेटिंग’ कहलाने लगा है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक बीएचयू कैंपस में लड़कियों की छेड़खानी के लिए शोहदों ने बकायदा एक टर्म बना लिया है और इसे ‘लंकेटिंग’ के नाम से जाना जाता है. ‘लंकेटिंग’ शब्द बीएचयू के सिंह द्वार गेट के पास स्थित लंका बाजार के नाम पर बना है. बीएचयू कैंपस के आसपास घुमने वाले गुंडे किस्म के लोग लड़कियों को तंग और परेशान करने के लिए ‘लंकेटिंग’ शब्द का इस्तेमाल करते हैं.
लंका बाजार में बाइक पर सवार लफंगे छात्राओं और महिलाओं का पीछा करते, उन पर अश्लील कमेंट्स करते कभी भी नजर आ जाएंगे. बीएचयू के एक मात्र वूमेंस कॉलेज महिला महाविद्यालय के आस पास भी ऐसे सड़क छाप मजनुओं की भरमार दिखती है. छात्राओं को छेड़ने वाले लफंगो की बजह से इस इलाके में अक्सर लड़ाई – झगड़े और मारपीट होते रहते हैं.
यहां के छात्राओं का कहना है कि जब भी हम इस बाजार की ओर जाते हैं हम ग्रुप बनाकर निकलते हैं या फिर अपने साथ किसी लड़के को जाने कहते हैं. इन इलाकों में छेड़खानी की आशंका हर वक्त रहती है. कुछ और छात्राओं का कहना है कि वे ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त कर जाती हैं, क्योंकि पुलिसिया कार्यवाही में खुद के बदनामी का खतरा रहता है.
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