अभिषेक चौधरी
लखनऊ .प्रतिभा परिस्थितियों की दास नहीं होती ,प्रतिभा की चमक बिपरीत परिस्थिति में भी चहु और अपने प्रकाश पुंज को बिखेरती रहती है .प्रतिभा के धनी एक गरीब किशान के पुत्र ने यूपीएससी के 2017 की परीक्षा में पास होकर खुद की काबिलियत का लोहा मनवाया है . बिहार के नवादा जिले के निरंजन कुमार बचपन से ही पारिवारिक आर्थिक तंगी के शिकार रहे है ,आर्थिक तंगी का सामना करते हुए इस होनहार कुर्मी पुत्र ने यूपीएससी में 728 वीं रैंक लाकर अपने कुल और समाज का नाम रोशन कर दिखाया है. निरंजन कुमार की सफलता इसलिए मायने रखती है क्योंकि उनका बचपन मुफलिसी में बीता है. घर का खर्च चलाने के लिए एक मात्रा चार उनके पिता की खैनी-तंबाकू की दुकान थी.
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यूपीएससी की परीक्षा पास करने वाले निरंजन स्कूल की पढ़ाई के दौरान पिता की खैनी की दुकान पर बैठ कर खैनी बेचा करते थे . पिता अरविन्द कुमार पटेल जब भी बाहर जाते निरंजन ही खैनी ही दुकान संभालते थे .नवादा जिले के पकरि बरावन गांव के अरविन्द कुमार पटेल खैनी की दुकान से बमुश्किल 5 हजार रूपये प्रति माह कमा पाते थे . इतने कम पैसे से परिवार चलाना और बच्चो को उच्च शिक्षा दिला पाना आसान नही था , लेकिन निरंजन ने कभी गरीबी को अपनी पढाई के आड़े नहीं आने दिया . अरविन्द के पिता के पास तीन बेटों और एक बेटी की पढाई के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे .
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निरंजन बचपन से ही पढने में अच्छे थे लेकिन घर की माली हालत पर गहन मंथन करते थे ,इसी दौरान किसी के मार्फ़त उन्हें केंद्र सरकार द्वारा संचालित जवाहर नवोदय विद्यालय के बिषय में जानकारी हुई ,नवोदय विद्यालय के औपचारिकताओ की जानकारी कर निरंजन ने इंट्रेंस परीक्षा पास कर दाखिला लिया और अपने ऊची उम्मीदो के पंख को हिलाते हुए अंजाम तक पहुचने की ठान ली नवोदय में १0वी तक की शिक्षा हासिल कर उच्च शिक्षा हेतु राजधानी पटना पहुचे .पटना में रहने का इंतजाम एक रिश्तेदार के पास हो गया, लेकिन इंटर की दो साल की पढाई के लिए 1200 रूपये ट्यूशन फीस भरने के लिए निरंजन के पास पैसे न थे. पैसों के इंतजाम के लिए उन्होंने बच्चो को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया. वह सुबह – शाम बच्चो को ट्यूशन पढ़ाते और खुद दिन में 8 -10 किमी. पैदल चलकर कोचिंग क्लास जाते क्योंकि उनके पास ऑटो का किराया देने तक के पैसे नहीं हुआ करते थे . डेढ़ साल बाद निरंजन ने ट्यूशन से बचाए पैसे से 600 रूपये में सेकंड हैण्ड साइकिल खरीदी .
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इंटर की पढाई के साथ ही निरंजन ने IIT की परीक्षा पास कर ली और ISM धनबाद से माइनिंग में इंजीनियरिंग की पढाई की . इंजीनियरिंग की पढाई के लिए निरंजन ने चार लाख रूपये का एजुकेशन लोन लिया . 2011 में कोल इन्डिया लिमिटेड में असिस्टेंट इंजिनियर के पद पर नौकरी पाने के बाद निरंजन ने लोन चुका दिया .इस वर्ष यूपीएससी की परीक्षा में 728 वीं रैंक आने से निरंजन संतुष्ट नहीं है . उनका कहना है उन्हें इंडियन रेवन्यू सर्विसेज में जगह मिलेगी . मैं अगले साल फिर से परीक्षा दूंगा . मेरा टारगेट प्रॉपर IAS बनना है .
फिरहाल इस गरीब नौजवान की मेहनत और निष्ठां ने आर्थिक तंगी से जूझ रहे छात्रों के लिए एक मिसाल पेश किया है .
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