कुर्मी क्रांति सेना ,युवा शक्ति एकता ,रास्ट्रीय कृषक संघ समेत अन्य है आयोजक
लखनऊ .किसान आयोग का गठन ,कृषि उपकरण बिना टैक्स लागत मूल्य पर उपलब्ध करवाने ,टयुबेल का कनेक्सन व बिजली मुफ्त करने ,नीलगाय समेत अन्य छुट्टा जानवरों से मुक्ति ,मंडी में किसान गेस्ट हॉउस कि व्यवस्था फसलों के बेहतर समर्थन मूल्य दिलाने जैसे मुद्दों को हथियार बनाकर पूवी उत्तर प्रदेश के कुछ इलाको में निकाली गई किसान चेतना यात्रा गांव ही नहीं, बल्कि शहर में किसानों की तलाश कर रही है.
जानकारी के मुताबिक यह यात्रा गाव को छुती हुई शहरों के बीच में किसान कि तलाश करेगी लेकिन बड़ा सवाल यह है कि यात्रा का जो मुख्य उद्देश्य किसानों को रिझाना है, वो शहर में कैसे पूरा हो पाएगा.किसान चेतना यात्रा का अस्पस्ट उद्देश्य होने के कारण भी यात्रा पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो रहा है ,दबी जुबान से लोगो का कहना है कि इलाहाबाद के किसान नेता नारायण सिंह को मोहरा बनाकर आयोजक द्वारा नीतीश कुमार के जनता दल यू कि जमीन तलासने हेतु इस यात्रा का आयोजन किया जा रहा है .सनद रहे कि राजग से बाहर होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उत्तर प्रदेश के तमाम इलाको में किसान व पिछड़े समाज के मूद्दे पर बड़ी रैलियों को संबोधित किया था ,उस वक्त हुई नीतीश कुमार कि ताबड़तोड़ रैलियों के बाद उत्तर प्रदेश का किसान ,कमेरा समाज नीतीश कुमार में सरदार पटेल कि झलक देखते हुए आगामी प्रधानमंत्री पद का प्रबल दावेदार मान रहा था किन्तु बिहार में आई राजनैतिक सुनामी के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा भाजपा से हाथ मिला लेने के बाद उत्तर प्रदेश में चला नीतीश कुमार का जादू बिखर गया और किसान ,कुर्मी समाज उन्हें मौकापरस्त कहते हुए मुह मोद लिया .
इस यात्रा के आयोजको पर यदि निगाह दौड़ाई जाय तो स्पस्ट होता है कि संयोजन में शामिल तमाम संघठन राजनीति के खिलाफत पर जोर देते हुए समाजसेवा को तत्पर रहने का बखान करते नहीं थकते किन्तु सामाजिक जनों का कहना है कि इस यात्रा का उद्देश्य राजनैतिक जमीन तैयार करना है.
इस यात्रा को जनता दल यू के पदाधिकरियो के संरक्षण में किया जा रहा है जबकि किसान समुदाय का कोई बड़ा नेता इस यात्रा के समर्थन में नहीं दिख रहा है .भारतीय किसान यूनियन के तमाम नेताओ का कहना है कि हमें इस यात्रा के बिषय में किसी प्रकार कि जानकारी नहीं है ,किसान मुद्दों पर हमारा संघठन लगातार पिछले कई वर्षो से संघर्ष कर रहा हैं,तमाम कुर्बानिय भी हमारे साथियो ने दिया है लेकिन इस यात्रा में शामिल नेता कभी भी किसान हित में हमारे संघठन के साथ नहीं दिखे ,नेताओ ने कहा कि भोलेभाले किसान समाज के नाम पर तमाम संघठनो ने राजनैतिक रोटिया सेकी है.
फिरहाल किसान चेतना यात्रा सवालिया निशानों के बीच किसान मुद्दों को लेकर प्रस्थान को तैयार है ,इसका परिणाम किसान हित में कितना सार्थक होगा भविष्य की गर्त में है .