मध्य प्रदेश। कर्ज के बोझ तले दबे एक और किसान ने मध्य प्रदेश के दमोह जिले में शुक्रवार (27 अप्रैल) को आत्महत्या का प्रयास किया। इस मामले पर जब मध्य प्रदेश के कृषि राज्य मंत्री बालकृष्ण पाटीदार से सवाल किया गया तो उन्होंने विवादित बयान दे डाला। मंत्री पाटीदार ने कहा, ‘‘आत्महत्या पूरी दुनिया की समस्या है।’’ बता दें कि मध्य प्रदेश पूरे भारत में किसानों की आत्महत्या के मामले में तीसरे स्थान पर है। ये आंकड़ा चुनावी साल में सरकार के लिए चिंता का कारण बन सकता है। किसानों के संगठनों ने मंत्री के इस बयान की निंदा करते हुए इस असंवेदनशील करार दिया है।
50 हजार का चुकाए 90 हजार
दमोह जिले के सूखा गांव के 45 वर्षीय किसान लक्ष्मण काछी ने सल्फास खा लिया। उसके परिवार का कहना है कि उसने कड़े सूद पर साहूकार से 50 हजार रुपये उधार लिए थे। पिछले साल खरीफ की फसल बर्बाद हो जाने से लक्ष्मण टूट गया था। इस साल सूखे के कारण वह रबी की फसल भी नहीं बो सका। लक्ष्मण के बेटे नारायण ने कहा, मेरे पिता भारी तनाव में थे। हम साहूकार को अब तक 90 हजार रुपये दे चुके हैं, जबकि मूलधन सिर्फ 50 हजार रुपये ही था। साहूकार उनसे हर छह महीने पर पैसे की किश्त लेता था। अब वह बकाया पैसे के लिए उनका उत्पीड़न कर रहा था।’’ इस मामले के जांच अधिकारी केएस करोलिया ने बताया,‘‘नारायण को जहर खा लेेने के बाद जिला अस्पताल लाया गया था। ये साहूकार से पैसे लेने के बाद उत्पीड़न का मामला बताया जा रहा है। लेकिन चीजें जांच के बाद ही साफ हो पाएंगी।’’
‘पूरी दुनिया में होती है आत्महत्या’
ऐसे वक्त में जब लक्ष्मण काछी जिन्दगी और मौत के बीच झूल रहा था। मध्य प्रदेश के कृषि राज्य मंत्री बालकृष्ण पाटीदार इंदौर में थे। वहां पर पत्रकारों ने उनसे सवाल किया कि आखिरकार क्यों मध्य प्रदेश के किसान इतनी बड़ी तादाद में आत्महत्या कर रहे हैं? उन्होंने कहा,‘‘व्यापारी, आईएएस, आईपीएस, अधिकारी, पुलिस, आम जनता समाज के हर वर्ग के लोग आत्महत्या करते हैं। ये पूरी दुनिया में होता है।’’ उनके इस बयान की किसान संगठनों ने कड़ी निंदा की है। राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्का जी ने मंत्री बालकृष्ण पाटीदार से उनके असंवेदनशील बयान के लिए माफी मांगी है। वहीं भारतीय किसान यूनियन के राज्य महासचिव अनिल यादव ने इस बयान की निंदा की है और कहा,‘‘ ये उस भारतीय जनता पार्टी का असली चेहरा है, जो किसानों की हितैषी होने की बात करती है।’’
नाकाम रहीं सरकारी योजनाएं
किसानों का तनाव मध्य प्रदेश की बड़ी समस्या है। राज्य सरकार ने इससे निपटने और किसानों को बेहतर मूल्य और आसान कर्ज दिलवाने के लिए कई योजनाएं भी लागू की हैं। लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि ये किसानों की आत्महत्या रोकने में पूरी तरह से नाकाम रहा है। 20 मार्च 2018 को केन्द्रीय कृषि मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने लोकसभा में सूचना दी थी कि मध्य प्रदेश पूरे देश में किसानों की आत्महत्या के मामले में तीसरे स्थान पर है। 2013 में किसानों की आत्महत्या की दर में 21 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई थी। मध्य प्रदेश सरकार का दावा है कि बीते पांच सालों में राज्य की कृषि विकास दर में दो अंक की बढ़त दर्ज की गई है। उन्होंने हाल ही में पांचवीं बार कृषि कर्मण अवार्ड का वितरण भी किया था। एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 2011 से लेकर 2016 के बीच में कुल 6071 किसानों ने आत्महत्या की है।