नई दिल्ली .राजस्थान विधानसभा में हुई नुराकुस्ती बाद वसुंधरा सरकार बैकफुट पर आ गई और लोकसेवकों पर बिना इजाजत मुकदमा नहीं दर्ज करने वाले विवादित बिल प्रवर समिति में भेजने के नाम पर ठंडे बस्ते में डाल दिया है. 6 सितंबर 2017 को जारी इस विवादित अध्यादेश को बिल के रुप में सोमवार को वसुंधरा सरकार के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने विधानसभा में रखा था. उसके बाद से ही राजस्थान विधान सभा सहित देश भर में हंगामा मचा हुआ था ,लोगो ने मुख्यमंत्री बसुन्धरा पर ताना शाह होने का आरोप लगया था .
राजस्थान विधानसभा में सोमवार को हुए भारी हंगामे के बाद गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने दंड विधियां राजस्थान संशोधन विधेयक को विधानसभा की प्रवर समिति के पास भेजने का प्रस्ताव रखा जिसे ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई. बैठक शुरू होते ही विपक्ष ने किसानों की पूर्ण कर्ज माफी का मुद्दा उठाया और हंगामा शुरू कर दिया.
विधान सभा में किसानो के मुद्दे पर चल रहे हंगामे के बीच गृहमंत्री कटारिया ने दंड विधियां राजस्थान संशोधन विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने का प्रस्ताव रखा जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी.कटारिया ने घोषणा की कि दो महीने के अंदर 15 सदस्यों की प्रवर समिति बनेगी जिसके अध्यक्ष गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया रहेंगे और इसमें सभी दलों के सदस्य रहेंगे. प्रवर समिति के सुझाव के बाद अगले सत्र में संसोधित बिल पेश किया जाएगा. लेकिन कटारिया ने साफ किया कि अगले 42 दिनों तक ये विवादित अध्यादेश जारी रहेगा जब तक प्रवर समीति में ये विधेयक नहीं जाता है.
सनद रहे विपक्ष के साथ ही भाजपा के अंदर ही इस विधेयक को लेकर असंतोष देखने के मिला.विरोध करनेवाले भाजपा विधायकों में घनश्याम तिवाड़ी और नरपत सिंह राजवी के अलावा प्रहलाद गुंजल, कैलाश भंसाली और ज्ञानदेव आहूजा भी शामिल हो गए. घनश्याम तिवाड़ी ने दावा किया था कि ज्यादातर विधायक इस बिल के खिलाफ है .
कांग्रेस ने इस बिल को ही वापस लेने के लिए सदन के बेल में हंगामा किया जिसके बाद सदन को एक बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा. बिल को पारित नहीं होने को कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने कांग्रेस पार्टी और जनता की जीत बताया और कहा कि जब तक ये बिल वापस नहीं होता कांग्रेस इसका विरोध करती रहेगी.
जयपुर के पत्रकारों ने भी इस बिल का विरोध किया और काली पट्टी बांध कर प्रेस क्लब से विधानसभा तक मार्च किया और गिरफ्तारियां दीं. सेशन कोर्ट में वकीलों ने भी इस बिल के खिलाफ प्रदर्शन किया.
भाजपा के वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवारी ने वसुंधरा राजे सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने मूर्ख (सदन को) बनाया है. तिवारी कहते हैं कि सरकार ने एक चयन समिति को विवादित अध्यादेश के बजाय दूसरा अध्यादेश भेजा है.वही सोमवार को इस विवादित अध्यादेश की आग राजस्थान हाईकोर्ट भी पहुंच गई. इस अध्यादेश को एक वकील ने चुनौती दी है. जानकारी के मुताबिक वकील ए. के. जैन ने राजस्थान हाईकोर्ट में वसुंधरा राजे सरकार के अध्यादेश को चुनौती दी है.
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