पटना .केंद्र सरकार के एका एक 500 और 1000 के नोट बंद करने के फरमान से आम आदमी पसोपश में है.नोट बंद हो जाने की वजह से बलात्कार की शिकार एक बच्ची का परिवार अस्पताल जाने के लिए घंटों भटकता रहा, लेकिन कोई एंबुलेंस वाला उनकी बच्ची को ले जाने के लिए तैयार नहीं हुआ. इस घटना ने एक बार फिर से सुशासन के दावों की असलियत खोल कर रख दी.
प्रधानमंत्री के इस तुगलकी फरमान 500 और 1000 के नोट बंद करने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा
मामला बिहार के बेगुसराय जिले के फुलवाड़िया पुलिस स्टेशन इलाके का है. मालती गांव में 5 साल की एक मासूम बच्ची के साथ दरिंदे ने बलात्कार किया. वारदात के बाद बच्ची को सड़क के किनारे से बुरी हालत में बरामद किया गया और बच्ची को इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया. अस्पताल में बच्ची की हालत बिगड़ने पर बुधवार की शाम को उसे पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लिए रेफर किया गया लेकिन 500 और 1000 के नोट होने की वजह से एंबुलेंस ड्राइवर ने बच्ची को ले जाने से साफ इनकार कर दिया. इस वजह से बच्ची को लेकर उसका परिवार कई घंटे तक यहां वहां भटकता रहा.दुष्कर्म पीड़ित बच्ची को लेकर भी सरकारी सिस्टम ने असंवेदनशील रवैया अपनाया. जबकि सदर अस्पताल को खुद ही बच्ची को पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था करनी चाहिए थी. मगर ऐसा नहीं हुआ फिर सरकार के आदेशों के बावजूद एंबुलेंस ड्राइवर ने 500 या 1000 रुपये के नोट लेने से साफ इनकार कर दिया. किसी तरह बच्ची के घरवालों ने दौड़-भाग कर छोटी राशि के नोट इकट्ठा किए. इसके बाद भी ड्राइवर खाना खाने की बात कह कर इतंजार कराता रहा. बच्ची की खराब हालत का भी उस पर कोई असर नहीं पड़ा. बच्ची के घरवालों को कई घंटे तक यू हीं भटकते रहना पड़ा.