You are here

भारत में पैर जमाने की कोशिश में आइएस

नई दिल्ली. कुख्यात आतंकी संगठन आइएसआइएस के पैर इराक व सीरिया से तो उखड़ रहे हैं लेकिन क्या वह भारत समेत अन्य दक्षिणी एशियाई देशों में अपने पैर फैलाने की कोशिश में है? क्या भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन के डिब्बे में हुआ हमला आइएसआइएस की किसी बड़ी साजिश का हिस्सा था? क्या आइएस प्रभावित युवाओं का स्लीपर सेल भारत में देश की सुरक्षा एजेंसियों की सोच से ज्यादा खतरनाक रूप ले चुका है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब तलाशने में केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां पिछले 24 घंटों से जुटी हैं.

एजेंसियों की चिंता इस बात की है कि उनकी तमाम सतर्कता के बावजूद आइएस आतंकियों को विस्फोट करने से नहीं रोका जा सका। यही नहीं जिस तर्ज पर दूसरे देशों में आइएस बड़ा नेटवर्क बना चुका है उसके लक्षण वह भारत में भी दिखा रहा है.

केंद्र की सुरक्षा एजेंसियां मध्य प्रदेश के जबड़ी स्टेशन के पास रेल डिब्बे में हुए बम धमाके से लेकर लखनऊ के दुबग्गा इलाके में हुए मुठभेड़ के तार जोड़ने में जुटी हैं. सुरक्षा एजेंसियों को इस बात का भी शक है कि आइएस भारत में अपने स्लीपर सेल्स पर यह दवाब बना रहा है कि किसी भी सूरत में यहां आतंकी घटना को अंजाम दे, ताकि वह दुनिया को यह दिखा सके कि उसकी जद में दक्षिणी एशिया का बड़ा हिस्सा है.

इराक व सीरिया में मात खा रहे आइएस के लिए अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में बने रहने का यह तरीका हो सकता है. पिछले महीने ही आइएसआइएस ने पाकिस्तान में भी पहले बड़े आंतकी घटना को अंजाम दिया है जिसके बाद पाकिस्तान सेना ने आतंकियों के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन शुरु किया है. सूत्रों के मुताबिक भारत में पैर फैलाने के लिए आइएस ने जो खुरसान मॉड्यूल बनाया है उसके तहत ही बांग्लादेश के कैफे में लोमहर्षक हमला किया गया था. इसलिए मध्य प्रदेश के जबड़ी स्टेशन के पास हुए बेहद छोटे विस्फोट को कम करके आंका नहीं जा सकता.

यही नहीं जिस तरह से ट्रेन विस्फोट के बारे में सूचना सीरिया तक पहुंचाई गई है उससे भी यह शक सुरक्षा एजेंसियों शक पुख्ता हो रहा है कि आइएस के भारतीय एजेंट दवाब में है. दूसरे देशों में भी जहां आइएस के लोगों ने आतंकी हमले को अंजाम दिया है वहां से वे हमले से जुड़े फोटो वगैर सीरिया स्थिति हेडक्वार्टर भेजते हैं. ऐसे में एजेंसियों की नजर आइएस के उन नुमाइंदों पर है जो तमाम सतर्कता के बावजूद अभी तक नजर से बचे हुए हैं.
पिछले एक वर्ष के भीतर देश भर में आइएस से जुड़े दो दर्जन से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. वैसे भारत पर आइएस की नजर काफी पहले से है लेकिन अभी तक वह यहां किसी बड़े हादसे को अंजाम नहीं दे सका है. जुलाई, 2015 में न्यूयार्क टाइम्स ने एक विस्तृत आलेख में भारत को लेकर आइएस के मंसूबे का ब्यौरा दिया था,यही वजह है कि एजेंसियां मान रही हैं कि उनके लिए आइएसआइएस का नेटवर्क नहीं बल्कि उसकी विचारधारा से चिंता है.

जयप्रकाश रंजन

(खबर कैसी लगी बताएं जरूर. आप हमें फेसबुक, ट्विटर और जी प्लस पर फॉलो भी कर सकते हैं.)




loading…


इसे भी पढ़े -