नई दिल्ली .केंद्र की मोदी सरकार के किसान विरोधी नीतियों व वादाखिलाफी से ग्रसित भाजपा शासन वाले छत्तीसगढ़ के किसान भाजपा को बेनकाब करने हेतु गुजरात पहुचेंगे .उनकी मंशा किसान विरोधी सरकार को गुजरात में परास्त करने की है . केंद्रीय कैबिनेट द्वारा रबी सीजन के लिए गेहूं और चना का एमएसपी 110 रुपये और 400 रुपये बढाए जाने से छत्तीसगढ़ के किसानों ने केंद्र पर भेदभाव का आरोप लगाया है. केंद्रीय कैबिनेट ने गेहूं का मिनिमम सपोर्ट प्राइज 110 रुपये बढ़ाते हुए 1735 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया. जबकि चने का चार सौ रुपये बढ़ाते हुए चार हजार चार सौ रुपये प्रति क्विंटल किया.
आज तक के मुताबिक केंद्रीय कैबिनेट के इस फैसले के बाद छत्तीसगढ़ के किसान मोदी सरकार पर आक्रामक है . उनके मुताबिक धान की पैदावार की लागत और समय गेहूं और चने से कहीं ज्यादा है. इसके बावजूद धान के समर्थन मूल्य में मात्र 80 रुपये की बढ़ोतरी करना सिर्फ छलावा है .किसानों ने मोदी सरकार की मंशा पर सवालिया निशान लगाते हुए पूछा है कि तो क्या वे चावल की पैदावार बंद कर दें. दरअसल, छत्तीसगढ़ में लगभग 26 लाख किसान साल में दो से तीन बार चावल की पैदावार करते हैं.
किसानों के मुताबिक धान लगाने में लागत ज्यादा आती है. पानी ज्यादा लगता है, बिजली के बिलों में बढ़ोतरी होती है और तो और दूसरे फसलों की तुलना में कीटनाशकों और उर्वरकों का उपयोग भी ज्यादा होता है. इसके बावजूद चावल उपजाने वाले किसानों के प्रति मोदी सरकार गंभीर नहीं है. संयुक्त किसान मोर्चे के अध्यक्ष अनिल दुबे ने ऐलान किया है कि गुजरात जा कर किसान इस मिथक को तोड़ेंगे कि भाजपा किसानों की हमदर्द है.
छत्तीसगढ़ के साढ़े तीन सौ से ज्यादा किसान विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए गुजरात कूच करेंगे. किसानों के अलग-अलग दर्जन भर जत्थे अहमदाबाद, गांधीनगर, सावरकुंडला, वड़ोदरा, वापी, जामनगर, भावनगर, सूरत, वलसाड समेत दूसरे और इलाको में जा कर भाजपा की वादाखिलाफी से वहां के किसानों और सामाजिक संगठनों को आगाह करने का बीड़ा उठाया है. राज्य के पांच किसान संगठनों के लगभग 365 किसानों ने गुजरात जाने की सहमति दी है. किसानों के मुताबिक वो वहां की जनता और किसान संगठनों से मेल मुलाकात कर छत्तीसगढ़ में भाजपा की असलियत बताकर बेनकाब करेंगे .
छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनाव 2013 में भाजपा ने वादा किया था कि यदि वो तीसरी बार सत्ता में आई तो 1410 से बढ़ा कर सीधे धान का समर्थन मूल्य 21 सौ रुपये प्रति क्विंटल करेगी. साथ में प्रति क्विंटल 300 रुपये बोनस भी देगी. लेकिन चार सालों में भाजपा ने अपना वादा नहीं निभाया. इन वर्षो में एमएसपी बढ़कर मात्र 1540 रुपये ही हो पाई जबकि बोनस देने से पार्टी ने इनकार कर दिया. जब दबाव बढ़ा तो भाजपा ने बोनस तो दिया लेकिन एक साल का और उसमें भी कई तरह की शर्तें और पाबंदियां लगा दीं.
किसानों के गुजरात जाने की घोषणा के बाद से ही राज्य कि भाजपा सरकार सके हाथ -पाँव फूल गये है . नाराज किसानों को सरकार आश्वस्त कर रही है कि उनके हितों का बखूबी ध्यान रखा जा रहा है. उन्हें कई तरह की योजनाओं से लाभान्वित किया गया है और 21 सौ करोड़ रुपये का बोनस भी दिया गया है.फिलहाल गुजरात जाने के इच्छुक किसानों और उनके संगठनों के अरमानों पर पानी फेरने के लिए भाजपा अब सक्रिय हो गई है तो दूसरी ओर भाजपा की पोल खोल वाला किसानों का अभियान जोर पकड़ने लगा है. इसके लिए लगभग 365 किसानों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया है.
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