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गुजरात चुनाव : भाजपा की जीत हेतु संघ चिंतित ,सामाजिक समीकरणों पर दाव मरेगा संघ

नई दिल्ली . गुजरात के विधान सभा चुनाव में बिजय का झंडा फहराने हेतु भाजपा के शीर्ष नेता लगातार एड़ी से चोटी का जोर लगा रहे है वही इस चुनाव को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी बेहद सतर्क है.गुजरात के चुनाव में भाजपा की वर्तमान स्थित के बावत अपने अनुमानों को संघ ने भाजपा नेतृत्व को अवगत करा दिया है.संघ के अनुमानों को लेकर भाजपा और संघ दोनों चिंतित है और अन्दर खाने जीत की रणनीति को अंजाम दे रहे है .

संघ को सबसे ज्यादा चिंता राज्य के बर्तमान सामाजिक समीकरणों को लेकर है. नोटबंदी और उसके बाद जीएसटी से एक वर्ग भी भाजपा से खासा नाराज है.गुजरात राज्य की वर्तमान समीकरणों को लेकर चिंतित संघ और भाजपा का अब सारा दारोमदार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिका है. भाजपा नेताओं का मानना है कि पीएम नरेन्द्र मोदी के चुनाव प्रचार मैदान में उतरने के बाद स्थितियां तेजी से बदल सकती है .गुजरात में भाजपा ने अपनी सारी ताकत झोंक रखी है तो भाजपा का सहयोग करने में संघ के प्रचारक और स्वंयसेवक भी पीछे नहीं हैं.

संघ के एक प्रमुख नेता ने हिंदुस्तान से कहा है कि बीते काफी समय से गुजरात में मोदी बनाम अन्य मुकाबला होता था।.इस बार मोदी के बजाय भाजपा बनाम अन्य है. ऐसी स्थिति में ज्यादा मेहनत की जरूरत है. राज्य के दलित व आदिवासी समुदाय के भाजपा व कांग्रेस में बंटे होने की स्थिति में अन्य पिछड़ा वर्ग व पाटीदार समुदाय की भूमिका अहम हो जाती है. आमतौर पर यह वर्ग भाजपा का परम्परागत वोट बैंक रहा है , हालांकि इस बार स्थितियां अलग हैं. यही वजह है कि भाजपा नेतृत्व को ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही है. सबसे ज्यादा जोर सामाजिक समीकरणों को साधने पर है.
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है. बीते एक महीने से उनका अधिकांश समय गुजरात में ही गुजर रहा है. हर जिले व हर बूथ पर पार्टी की टीम लोगों के सतत संपर्क में है.

गुजरात चुनाव में भाजपा के जीत का परचम लहराने हेतु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी लगातार गुजरात का दौरा कर रहे हैं.उम्मीदवारों की घोषणा के बाद भाजपा प्रचार अभियान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लगभग हर जिले में सभा करवाने की योजना पर काम कर रही है . भाजपा चुनाव में विकास व गुजरात गौरव को मुद्दा बना रही है.

भाजपा की योजना है कि किसी तरह गुजरात की सत्ता पर पुनः कब्ज़ा बरक़रार रखा जाय ,क्योकि सत्ता की वापसी न होने पर देश की राजनीति में बड़ा बदलाव आ सकता है .

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