लखनऊ .देश की राजनीति में विकास को लेकर उठा पठक जारी है ,देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश से लागयत बिदेशो तक में भारत के विकास की गाथा बताने से नहीं चूकते तो विपक्षी दल केंद्र सरकार के विकास दावों को झूठ का पुलिंदा बता रहे है .विकास के इस मुद्दे पर वाक्गु यूद्ध के बीच बहुजन लेखक सूरज कुमार बौद्ध की एक कविता इन दिनों सोसल मीडिया पर वायरल हो रही है ,इस कबिता के मार्फ़त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर कटाक्ष किया गया है .
पढ़िए बहुजन लेखक सूरज कुमार बौद्ध की कबिता “मैं विकास बोल रहा हूं, मेरे जनक नरेंद्र मोदी हैं”…..
चाय बेचकर पला-बढ़ा।
डिग्री विग्री की बात न पूछो,
सहपाठी का नाम न पूछो,
मेरा नाम विकास है
मुझसे दाल का दाम न पूछो।
मुझे गरीबी से क्या
मेरी नियत की खोटी है।
मैं विकास बोल रहा हूं,
मेरे जनक नरेंद्र मोदी हैं।
गाय-गोबर-गोमूत्र-गीता
बस यही मेरा आधार है।
बाबरी मस्जिद मुद्दे के दम पर
चलता मेरा व्यापार है।
अरे मीडिया की तुम चिंता छोड़ो,
मीडिया अपनी गोदी है।
मैं विकास बोल रहा हूं,
मेरे जनक नरेंद्र मोदी हैं।
मां बहनों पर डंडे बसाकर,
वंदेमातरम कहते रहना है।
आईएसआई एजेंट पकड़े जाने पर,
राष्ट्रवादी दंभ भरना है।
फिर शहीदों की शहादत पर,
खूब आंख-मिचौली होती है।
मैं विकास बोल रहा हूं,
मेरे जनक नरेंद्र मोदी हैं।
गोरक्षक जनित नरहत्या ही
अच्छे दिन वाली शान पट्टी है।
अखलाक-नजीब-उना घटना पर
चुप्पी आधिकारिक उपलब्धि है।
सैकड़ों मौतों की जिम्मेदार
नवंबर वाली नोटबंदी है।
मैं विकास बोल रहा हूं,
मेरे जनक नरेंद्र मोदी हैं।
‘मन की बात’ सुनो तुम मेरी,
रोहित के मां की मत बात करो।
बस मोदी मोदी कहते जाओ,
ना दंगों पर आवाज भरो।
बाकी इस जनता का क्या,
वह बस जुमले से खुश होती है।
मैं विकास बोल रहा हूं,
मेरे जनक नरेंद्र मोदी हैं।
– सूरज कुमार बौद्ध
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