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उन्नाव:वंदनीय भारत माँ का वह प्यारा लाल किसान है

??काव्य गोष्ठी का हुआ आयोजन

बीघापुर,उन्नाव। माँ मंशा देवी बैसवारा साहित्यिक परिषद् मगरायर में संस्था प्रारम्भ होने के अवसर पर वृहद् काव्य गोश्ठी का आयोजन किया गया जिसमें बैसवारा के ख्यातिलब्ध रचनाकारों ने अपनी उस्थिति दर्ज कराया.




गोश्ठी का षुभारम्भ माँ वागेष्वरी के चित्र व मंषा देवी के मंदिर में धूप दीप प्रज्वलित कर रामकिषोर वर्मा की वाणी वंदना से हुआ कि मइया सब केरि लेहु खबरिया अरजिया हमारि सुनिकै, मइया ज्ञान कै भरहु गगरिया अरजिया हमारि सुनिकै।इसके बाद योगेन्द्र कुमार ने पढ़ा- डराते हो बहुत और कहते हो डरने नहीं देंगे, पिला कर जहर कहते हो अब मरने नहीं देंगे।वहीं अपनी अलग गीत षैली के लिए पहचाने जाने वाले नरेन्द्र आनन्द ने पढ़ा- हम पतंगों सदृष व्योम पर काटते और कटते रहे,संग साथी भी हमदर्द भी,किन्तु हम नित्य मिटते रहे,दोस्तों ने छोड़ी कसर,दुष्मनों की तो जानी नहीं,सारा जीवन जिए इस तरह जिसकी कोई कहानी नहीं।वसुदेव अवस्थी ने पढ़ा-तोड़ दिया अनमोल खिलौना,खेल रहा था जिससे, सुख दुःख का साथी बन करके अब खेलेगा किससे।



ग़ज़लों के पितामह कहे जाने वाले नरेन्द्र उम्मीद ने पढ़ा- पता नहीं ये ज़िन्दगी कहां से गुजरेगी,इतना ख़याल है ये दुआ से गुजरेगी। मनोज कुमार ‘सरल‘ ने पढ़ा- जय हो जवानों की किसानों मजदूरों की भी,प्रगति के पथ पर कोई भी न भय हो,भय हो न नारियों के स्वाभिमान का किसी से,अन्याय अनीति व आतंकियों का क्षय हो। मृत्युंजय पाण्डेय ने पढ़ा- सब्जबाग ये झांसों वाला नया पुलिंदा है,किससे पीर कहे अपनी हर दिल डरता है।किसानों की दुर्दषा पर डाॅ0 मान सिंह ने रचना पढ़ी- न ये कोई लुटेरे हैं न ये आतंकवादी हैं, ये हैं भगवान धरती के न ये अलगाववादी हैं, न इनने आज तक तुमसे कोई खै़रात माँगी है, फसल के दाम माँगे तो कहो क्या उग्रवादी हैं।प्रकृति के कवि अनिल वर्मा ने पढ़ा-कहीं कारखनों ने वायु प्रदूशण भी फैलाया है,और कभी विज्ञान प्रगति ने हानि हमें पहुंचाया है,प्रकृति बचे सबके हित में तब भारत बने महान है,वंदनीय भारत मां का वह प्यारा लाल किसान है।

अन्य कवियों में डाॅ0 महावीर सिंह, राम प्यारे चैंपियन,अयोध्या प्रसाद, रवीन्द्र नारायण दीक्षित, द्रविड़ कुमार मासूम, भारत सिंह परिहार, संजीव तिवारी,षिव पाल सिंह,जय कृश्ण पाण्डेय,कमलेष कुमार षुक्ला आदि रहे।गोश्ठी का संचालन सतीष सिंह ने किया, अध्यक्षता गंगा प्रसाद बाबू ने की। आभार संस्था की संस्थापिका महेश्वरी पाण्डेय ने व्यक्त किया।

रिपोर्ट:डॉ.मान सिंह
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