नई दिल्ली.जनता दल यू के अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी के बाद बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ एक सार्थक अभियान की शुरुआत की है.इस अभियान के तहत राज्य में बाल विवाह कराने वाले पंडितों को सख्त हिदायत दिए गए हैं.
बाल विवाह पर अंकुश लगाने के लिये राज्य सरकार ने शादी कराने वाले पंडितों के लिए अनिवार्य कर दिया है कि उन्हें प्रशासन को लिखित देना होगा कि जिस कन्या की शादी उनके द्वारा करवाई गई है वो कन्या बालिग थी यानि उसकी उम्र अठारह साल या उससे अधिक थी.
राज्य सरकार को उम्मीद है कि इससे बाल विवाह पूरी तरह से खत्म तो नहीं लेकिन उस पर बहुत हद तक अंकुश जरूर लगेगा. बिहार सरकार ने इसी साल दो अक्टूबर से इस अभियान की शुरुआत की है. बिहार सरकार का कहना हैं कि इसके अलावा और भी कई तरीक़ों पर विचार किया जा रहा हैं.
जिस लड़की की शादी हो रही है उसका आधार कार्ड और लड़की का घर जहां हो वहां के पार्षद या सभासद से भी लिखित में ये अंडरटेकिंग ली जाएगी की लड़की बालिग है. लेकिन, फिलहाल सरकार ने इस अभियान की शुरुआत में पंडितों या शादी कराने वाले दूसरे पुजारियों से लिखित में लेन का प्रावधान किया है।
हालांकि ये स्पष्ट नहीं हैं कि सरकार के इस आदेश के तहत मुस्लिम समुदाय के मौलाना या क्रिश्चयन समुदाय के पादरी भी आएंगे या नहीं. लेकिन फिलहाल राज्य में धार्मिक न्यास बोर्डों के जरिए पंडितो की सूची बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई हैं.
बिहार में बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है जिसकी जड़ में राज्य की ग़रीबी और लोगों का पढ़ा-लिखा न होना है. हालांकि राज्य सरकार का दावा है कि इस मुद्दे पर जागरूकता के लिए कई क़दम उठाये गए हैं.
जिनमें जीविका के कार्यकर्ताओं द्वारा ग्रामीण इलाक़ों में लोगों के बीच जाकर बाल विवाह के नकारात्मक असर के बारे में लोगों को बताना मुख्य काम हैं.
न्यूज़ अटैक हाशिए पर खड़े समाज की आवाज बनने का एक प्रयास है. हमारी पत्रकारिता को सरकार और कॉरपोरेट दबाव से मुक्त रखने के लिए हमारा आर्थिक सहयोग करें .
न्यूज़ अटैक का पेज लाइक करें –
(खबर कैसी लगी बताएं जरूर. आप हमें फेसबुक, ट्विटर और गूगल प्लस पर फॉलो भी कर सकते हैं.)