You are here

शराबबंदी के बाद राजस्व में आयी कमी की सर्वाधिक मार दलित छात्रों पर: मोदी




पटना. बिहार के विधान सभा चुनाव में दलित वोट न मिलने का खामियाजा नीतीश कुमार की सरकार में दलितों को भुगतना पड़ रहा है.नीतीश कुमार दलित, आदिवासियों की पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति को बंद कर बदला ले रहे है . सरकार की सहमति से 2015-16 व उसके पूर्व के वर्षों में नामांकन कराये दलित छात्रों की छात्रवृत्ति को सरकार ने डेढ़ लाख से घटा कर अधिकतम 15 हजार कर दिया है.
उक्त आरोप बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने नीतीश कुमार पर लगाते हुए कहा किचालू वित्तीय वर्ष से दलित, आदिवासियों की पोस्टमैट्रिक छात्रवृत्ति को ही बंद कर दिया. चालू वित्तीय वर्ष से दलित छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति को बंद कर सरकार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के जरिये इंटर उत्तीर्ण छात्रों को चार लाख तक कर्ज दिलाने की बात कर रही है. 11 वीं व 12 वीं की पढ़ाई कर रहे दलित छात्र जो न इंटर उत्तीर्ण है जिससे उन्हें कर्ज मिले और न ही उन्हें पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति मिलेगी, ऐसे में उनकी पढ़ाई कैसे पूरी होगी. चालू वित्तीय वर्ष के 9 माह बाद भी पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए न तो दलित छात्रें से आवेदन लिए गये हैं और न ही कोई प्रक्रिया शुरू की गयी है.




पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दलितों की छात्रवृत्ति बंद करने वाली नीतीश सरकार बतायें कि स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के जरिये दिया जाने वाला कर्ज और छात्रवृत्ति क्या एक ही है. कर्ज को जहां छात्रों को ब्याज सहित वापस करना होगा वहीं छात्रवृत्ति सहायता राशि है, जिसे वापस करने की जरूरत नहीं है. दलितों की छात्रवृत्ति को बंद कर सरकार अन्याय क्यों कर रही है. शराबबंदी के बाद राज्य के राजस्व में आयी भारी कमी की सर्वाधिक मार दलित छात्रों पर पड़ी है. इसी का परिणाम है कि सरकार की सहमति से पूर्व में नामांकित दलित छात्रों की छात्रवृत्ति की राशि में जहां कटौती की गयी जिससे उन्हें बीच में पढ़ाई छोड़ कर घर आना पड़ा है अब छात्रवृत्ति योजना को ही बंद कर दिया गया है.

नोटबंदी पर मुखर हो सकते है नीतीश कुमार

इसे भी पढ़े -