You are here

माता सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका की जयंती आज




  • नई दिल्ली. सावित्रीबाई फुले के 186 वें जन्मदिन पर आज देश उन्हें नमन कर रहा है. सावित्रीबाई फुले को आधुनिक भारत की पहली महिला शिक्षिका, सामाजिक कार्यकर्ता, कवि के रुप में जाना जाता है. सावित्रीबाई फुले ने रुढिवादी विचाधारा से ग्रस्त समाज से लड़कर महिलाओं के लिए शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया था. सावित्रीबाई फुले ने ही देश का पहला महिला विधालय खोला था. इसकें अलावा समाज में महिलाओं के खिलाफ प्रचलित कुप्रथाओं को खत्म कराने में सावित्रीबाई फुले की अहम भूमिका रही.
    सावित्रीबाई का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के नायगांव में हुआ था. सावित्रीबाई की शादी 9 साल की उम्र में उनकी शादी ज्योतिबा फुले से हो गई थी. विवाह के समय सावित्रीबाई पूरी तरह से अशिक्षित थी. सावित्रीबाई फुले एक दलित परिवार से थीं, बताया जाता है कि उनकी शादी के दौरान विवाह संस्कार में ऊंची जाति के लोगों ने काफी विघ्न डाला था. जिससे अपमानित होकर उनके पति ज्योतिबा फुले ने दलित वर्ग को गरिमा दिलाने का प्रण लिया.
    सावित्रीबाई के पति ज्योतिबा फुले मानते थे कि दलित और महिलाओं की आत्मनिर्भरता, शोषण से मुक्ति और विकास के लिए सबसे जरूरी है. इसलिए उन्होंने प्रण लिया कि वो अपनी अशिक्षित पत्नी को शिक्षित करके रहेंगे. शादी के बाद ज्योतिबा अपनी पत्नी सावित्री बाई को पढ़ाने लगे. जिससे नाराज होकर ज्योतिबा के पिता ने उन्हें घर से निकाल दिया. बावजूद इसके ज्योतिबा ने सावित्रीबाई को पढ़ाना जारी रखा और उनका दाखिला एक विद्यालय में कराया.

     जानिए माता सावित्रीबाई के बारे में महत्वपूर्ण 10 बातें-

  • सावित्रीबाई फुले ने अपने समाजसेवी पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर महिलाओं के लिए 18 स्कूल खोले. सावित्रीबाई फुले ने पहला और आखिरी यानि 18वां स्कूल पुणे में खोला.
  •  सावित्रीबाई को देश की पहली भारतीय स्त्री-अध्यापिका ऐतिहासिक गौरव हासिल है. उससमय के धर्म के ठेकेदारों ने उन्हें काफी भला बुरा कहा लेकिन वो अपने मार्ग से नहीं डिगीं. सावित्रीबाई फुले देश की पहली महिला शिक्षिका होने के साथ साथ महिलाओं के हक के लिए लड़ने वाली पहली नेता थीं.
  • सावित्रीबाई ने उस समय में छुआ-छूत, सतीप्रथा, बाल-विवाह और विधवा विवाह निषेध जैसी कुप्रथाओं के विरुद्ध मुहिम चलाई.
  •  सावित्रीबाई ने 28 जनवरी 1853 को बलात्काथर पीडि़त गर्भवतियों के लिए बाल हत्या प्रतिबंधक गृह की स्थाेपना की.
  •  सावित्रीबाई ने पति ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर जीवन भर समाज में अछूत समझे
    जाने वाले तबके खासकर महिलाओं और दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया.
  •  उस समय में विधवा महिलाओं के बाल काट दिए जाते थे. लेकिन सावित्रीबाई ने अपने पति के साथ मिलकर उसके खिलाफ आंदोलन किया. बाल काटने वाले नाईयों को समझाया, जिसके बाद इस कुप्रथा का अंत हुआ.
  •  उनकी कोई अपनी संतान नहीं थी, सावित्रीबाई ने ब्राह्मण यशवंत राव को गोद लिया. उन्होंने दत्तक पुत्र यशवंत राव को पढ़ा-लिखाकर डॉक्टर बनाया.
  • यशवंत राव के बारे में बताया जाता है कि वो एक विधवा ब्राह्मण महिला काशीबाई से पैदा हुए थे. इसलिए उनकी मां उन्हें मारने जा रही थी. लेकिन सावित्रीबाई ने
    उनको गोद लेकर जीवनदान दिया.
  •  सावित्रीबाई ने समाज में व्यापत कुरीतियों को जड़ से खत्म करने के लिए 1875 में ‘सत्यशोधक समाज‘ की स्थापना की.
  •  सावित्रीबाई ने विधवा पुनर्विवाह सभा का आयोजन किया.
  •  ‘सत्यशोधक समाज‘ ने 1876 व 1879 के अकाल में अन्नसत्र चलाये और अन्न इकटठा करके आश्रम में रहने वाले 2000 बच्चों को खाना खिलाने की व्यवस्था की.
  • 12- 10 मार्च 1897 को प्लेग के मरीजोंकी देखभाल करते हुए प्लेग के कारण ही उनकी मृत्यु हुई.




इसे भी पढ़े -