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BHU में कई वर्षो से चल रहा हस्तमैथुन, छेड़छाड़ और यौन शोषण का मामला ,धृतराष्ट्र बना रहा नारी को देवी मानने वाला कुलपति

 काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा की 10 साल पुरानी आपबीती, 4 साल हमने भी झेला हस्तमैथुन, छेड़छाड़ और यौन शोषण

लखनऊ .1905 में प्रकाशित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की प्रस्तावना में पंडित मदन मोहन मालवीय ने लिखा था-“व्यक्ति और समाज की उन्नति के लिए बौद्धिक विकास से भी अधिक महत्वपूर्ण है चारित्रिक विकास..मात्र औद्योगिक प्रगति से ही कोई देश खुशहाल, समृद्धि और गौरवशाली राष्ट्र नहीं बन जाता…..अतः युवाओं का चरित्र निर्माण करना प्रस्तावित विश्वविद्यालय का एक प्रमुख लक्ष्य होगा. उच्च शिक्षा द्वारा यहां केवल अभियंता, चिकित्सक, विधि-वेत्ता, वैज्ञानिक, शास्त्रज्ञ विद्वान ही नहीं तैयार किये जायेंगे, वरन् ऐसे व्यक्तियों का निर्माण किया जायेगा जिनका चरित्र उज्जवल, जो कर्तव्य परायण और मूल्यनिष्ठ हों. यह विश्वविद्यालय केवल अर्जित ज्ञान के स्तर को प्रमाणित कर डिग्रियां देने वाली संस्था न होकर सूयोग्य सच्चरित्र नागरिकों की पौधशाला होगा.

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय मदन मोहन मालवीय की सोच को नकारते हुए मनुवादी विचारधारा के कुलपतियो के संरक्षण में अय्याश ,लफ्फाज और नारी को देवी के बजाय यौन सुख का साधन मानने वाले साधको का अड्डा बन गया है .बताया जाता है कि पिछले २ दशक से विश्वविद्यालय में युवतियो को हबस पिपाशा शांत करने के नजरिये से देखा जा रहा है .हस्तमैथुन, छेड़छाड़ और यौन शोषण इस विश्वविद्यालय की दिनचर्या में शामिल हो चूका है .बीएचयू प्रशासन इन कृत्यों पर रोक लगाने की बजाय पर्दा डालते हुए विश्वविद्यालय के मातहतो का संरक्षणदाता बना हुआ है .

आज जब काशी हिंदू विश्वविद्यालय की छात्राएं अपनी सुरक्षा की मांग करते हुए यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन कर रही हैं. प्रदर्शन कर रही इन छात्राओं पर पुलिस की लाठिया चलती है फिर भी मनुवादी कुलपति जगजाहिर लाठी चार्ज को नकार देता है और कहता है कि किसी प्रकार का लाठी चार्ज नहीं हुआ .लाठी चार्ज में घायल छात्राओं की मांग सिर्फ इतनी थी कि कुलपति उनसे मिले ,समस्या का निदान करे किन्तु कुलपति छात्राओं से मिलने ,समस्या का समाधान करने की दिशा में सोच ही नहीं रहा था क्यों ? इस बात का प्रश्न लोगो के जेहन में तैर रहा है वही लोगो का दबी जुबान से कहना है कि युवतियो को अपने गिरफ्त में लेने का प्रयाश करने वाले यूवक ज्यादातर विश्वविद्यालय कर्मचारियों के परिजन ,रिश्तेदार और नातेदार है जिसके कारण बीएचयू प्रशासन इन घटनाओ को लगातार नजरअंदाज करता रहा है .

आबरू बचाने की फ़रियाद के बदले मिली लाठिया
आबरू बचाने की फ़रियाद के बदले मिली लाठिया

बीएचयू में चल रहे विवाद के बीच एक पूर्व छात्रा ने यूनिवर्सिटी का अपना अनुभव साझा किया है. जनसत्ता के अनुसार medium.com नाम की वेबसाइट पर लिखे एक लेख में जयंतिका सोनी नाम की बीएचयू की पूर्व छात्रा ने लिखा है कि चार साल हमने भी ये घटनाएं झेली हैं, आज के माहौल को देखकर मेरा भी खून खोल गया कि अभी भी वहां कुछ नहीं बदला है.

पहले साल के अनुभव के बारे में सोनी ने लिखा है, ‘बीएचयू में फर्स्ट ईयर के दौरान मुझे निर्देश दिए गए कि हॉस्टल में 7 बजे से पहले पहुंचा जाना है. इसका खुद की सुरक्षा के लिए पालन करना है. एक दिन गर्मी की दोपहर में 3 बजे मैं मेरी एक दोस्त के साथ सेमी सर्केुलर रोड नंबर 5 के रास्ते स्विमिंग पुल से गांधी स्मृति महिला छात्रावास आ रही थी. तभी एक लड़का सफेद स्कूटर से आया और बिल्कुल हमारे सामने रुका। उसके बाद उसने हमारे सामने हस्तमैथुन करना शुरू कर दिया. 17 साल की उम्र में यह मेरे लिए पहले मौका था कि मुझे यूनिवर्सिटी के अंदर यह सब कुछ देखने को मिला. मैं और मेरी दोस्त डर गए और वहां से भागने लगे. इसी साल मेरी एक दोस्त को विश्वकर्मा हॉस्टल के पास शाम को 5 बजे मोटरसाइकिल सवार दो लड़कों ने उसके साथ छेड़छाड़ की वे लोग महिला की छाती को छूकर हंस रहे थे और यह उनकी मर्दानगी थी. पहले साल ने यह सिखा दिया कि हमें सेमी सर्कुलर रोड़ नंबर-5 का इस्तेमाल नहीं करना है.

छात्राओ की फ़रियाद ,भाजपा का नारा हो रहा तार -तार
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साथ ही उन्होंने लिखा कि सैकेंड ईयर की छात्रों को हॉस्टल में 8 बजे से पहले पहुंचना था. हमने एक्स्ट्रा केरीकुलर एक्टिविटीज के लिए एक घंटा ज्यादा मांगा था, लेकिन हमें नहीं दिया गया, हमें बताया गया कि महिला महाविद्यालय में हॉस्टल 6 बजे से पहले पहुंचना होता है.

तीसरे साल के बारे में उन्होंने लिखा, ‘मैं एक दिन सुबह करीब 6-7 बजे सुबह की वॉक पर आईटीबीएचयू रोड़ पर निकली. वहां पर मेरी विश्वनाथ मंदिर से धनराजगिरी हॉस्टल तक एक स्कूटर से लड़के ने मेरा पीछा किया. मैं एक जूस की दुकान पर रुक गई, ताकि वह आगे निकल जाए लेकिन उसने मेरा जीएसएमसी तक पीछा किया. मैंने उसके स्कूटर का नंबर नोट कर लिया था. जब मैंने इसके बारे में वार्डन और गार्ड से शिकायत की तो उन्होंने कहा कि वह किसी यूनिवर्सिटी स्टाफ का रिश्तेदार है. इसके बाद मैं मेरे एक पुरुष दोस्त के साथ सुबह की वॉक पर जाने लगीं.

बीएचयू के चौथे साल के अनुभव के बारे में सोनी ने लिखा, ‘मेरे हिसाब से यह सितंबर या अक्टूबर का महीना रहा होगा, जब एक दोस्त का साइकिल रिक्शा से अपहरण करने की कोशिश की गई. यह घटना जीएसएमसी हॉस्टल और विश्वेश्वरा के कोने पर हुई. प्रॉक्टर घटनास्थल से करीब 200 मीटर दूर ही होंगे, तब भी इन बदमाशों ने अपहरण करने की हिम्मत की लेकिन उस लड़की के साथ बैठी उसकी एक दोस्त ने उसे कसकर पकड़ लिया. जिसके बाद बदमाश वहां से भाग गए. इसके बाद जीएसएमसी की छात्रों ने प्रदर्शन कर सुरक्षा बढ़ाने की मांग की. एक सप्ताह के प्रदर्शन के बाद हॉस्टल के सामने लाइटें लगाई गईं और ब्लॉक की एंट्री पर गश्ती शुरू की गई हालांकि, वे लोग केवल साथ घूम रहे लड़के और लड़कियों को ही ढूंढ़ते थे. उनका बदमाशों पर कोई नियंत्रण नहीं था. यह पेट्रोलिंग भी दो सप्ताह बाद बंद हो गई. इसके बाद हमने फैसला किया कि अब हम लोग साइकिल रिक्शा की जगह ऑटो रिक्शा का इस्तेमाल करेंगे.

आखिर में जयंतिका सोनी ने लिखा है कि यूनिवर्सिटी में कुछ नहीं बदला है. वहां आज भी वैसे ही हालात हैं, जैसे 10 साल पहले थे. आज भी वहां पर लड़कियां असुरक्षित हैं.

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