प्राचीन भारतीय दार्शनिको की स्थापनाओं को सामाजिक और राजनीतिक आधार नहीं मिल पाया. उनकी शिक्षाओं को institutionalise नहीं किया जा सका, किसी संस्थागत ढाँचे में (सामाजिक या राजनीतिक) में नहीं बांधा जा सका. कुछ प्रयास हुए भी अशोक या चन्द्रगुप्त के काल में लेकिन वे भी ब्राह्मणी षड्यंत्रों की बलि चढ़ गये. कपिल, कणाद महावीर या बुद्ध से आ रहा…
आगे पढ़े ...वेदान्त के उभार से ही भारत का पतन हुआ प्रारंभ
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