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पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन के रुप में दुनिया में धाक जमाने वाले कलाम साहब की जयंती पर भावभीनी श्रद्धांजलि !

ए.पी.जे. अब्दुल कलाम एक ऐसा नाम है जिसका परिचय करवाना मतलब सूर्य को दीपक दिखाने के बराबर है | हर कोई इस नाम से परिचित है , हर कोई इस नाम को अपने आदर्श के रूप में देखता है | अब्दुल कलाम जी का पूरा नाम एनोजी पाकिर जैनुलब्दीन अब्दुल कलाम था | जिनका जन्म 15 अक्टूबर 1931को रामेश्वरम के साधारण परिवार में हुआ | मैं यह सब लिख कर उनके जीवन का परिचय नही लिखना चाहता क्योंकि जो सर्वविदित है उसे क्या बताना | मैं तो उस व्यक्तित्व की कुछ प्रेरणास्पद बाते लिख कर ये बताना चाहता हूँ कि सफलता के शिखर पर पहुंचकर भी अपने संस्कारों को अपनी नम्रता को नही भूलना चाहिए और ये सभी गुण हम कलाम साहब से सीख सकते है |

जैसा कि सब जानते है कि अब्दुल कलाम के पिता मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे | अब्दुल कलाम पांच भाई बहन थे |अब्दुल कलाम के आदर्श सदैव उनके पिता रहे है , क्योंकि किसी भी कार्य के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना उन्हें अपने पिता से ही मिली थी | बचपन में अपनी प्रारम्भिक शिक्षा जारी रखने के लिए अखबार वितरित करने का कार्य भी किया अर्थात वे यह मानते थे कि कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता अगर कुछ प्राप्त करना है तो छोटे से कार्य के साथ भी शुरुआत की जा सकती है , परन्तु पूर्ण समर्पण का भाव होना चाहिए |

पांच वर्ष की अवस्था में उनके शिक्षक इयादुराई सोलोमन ने उनसे कहा था कि जीवन में सफलता तथा अनुकूल परिणाम प्राप्त करने के लिए तीव्र इच्छा , अपेक्षा , आस्था तीनो को भली भांति समझ कर और उन पर प्रभुत्व स्थापित करना चाहिए | उनके विद्यालय काल में उनके तीन मित्र थे - रामानन्द शास्त्री , अरविन्दम , शिवाप्रकाशन | ये चारों हमेशा कक्षा की पहली पंक्ति में बैठा करते थे | एक बार उनके शिक्षक ने उनसे कहा कि तुम प्रथम पंक्ति में उच्च कोटि के ब्राह्मण के साथ नहीं बैठ सकते तो वे उठ कर अंतिम पंक्ति में बैठ गये तो उनकेरामानन्द शास्त्री मित्र रोने लग गये थे , इस घटना का पता उनके प्रधानाध्यापक को चला तो उन्होंने उस शिक्षक को बहुत कुछ सुनाया और कलाम साहब को अंतिम पंक्ति से उठा कर उनके मित्रों के पास बैठाया | इस पूरी घटना ने उनके मन पर अमिट छाप छोड़ी | इसी घटना से उन्होंने सर्वधर्म को बराबर सम्मान देना सीखा और उस बात को जीवन भर अपनाया भी |

बचपन से उनकी रूचि विज्ञान विषय में थी| इसीलिए 1958 में उन्होंने मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी अन्तरिक्ष विज्ञान से स्नातक की | इसके बाद उन्होंने हावर क्राफ्ट पर परियोजना काम करने के लिए इंडियन डिफेन्स रिसर्च एंड डवलोपमेंट इंस्टिट्यूट में प्रवेश लिया | 1962 भारत के उपग्रह प्रक्षेपण में योगदान दिया | एस एल वी -3, रोहिणी उपग्रह का प्रक्षेपण उन्होंने किया |

देश के पहले स्वदेशी उपग्रह एस एल वी 3, रोहिणी उन्ही की सोच का परिणाम था | डॉ. कलाम स्वदेशी के बहुत बड़े प्रवर्तक थे | वे चाहते थे कि देश अपनी सम्पदा से विकसित बने , ज्यादा से ज्यादा हमे भारत के विकास के लिए भारत की ही तकनीक का उपयोग करना चाहिए | अग्नि ,पृथ्वी जैसे प्रक्षेपास्त्रों को स्वदेशी तकनीक से बनाया | अधिकतर उपग्रह जो भी उनके संरक्षण में बने सब में स्वदेशी तकनीक का प्रयोग किया गया | 1999 में पोखरण में परमाणु परीक्षण को सफल कर दिखाने का श्रेय भी अब्दुल कलाम को जाता है | उस परमाणु परिक्षण से अमेरिका तक सभी देश चकित रह गये थे | वे चाहते थे कि भारत भी परमाणु शक्ति के रूप में विश्व में जाना जाए | इसीलिए उन्होंने सारा काम रात के अँधेरे में किया ताकि किसी भी देश को भारत के परिक्षण की खबर न मिले |

25 जुलाई 2002 को भारत के 11 वे राष्ट्रपति के रूप में डॉ. कलाम ने शपथ ली | अब्दुल कलाम अपने जीवन में बेहद अनुशासन प्रिय थे | वे पूर्णतया शाकाहारी और मद्यत्यागी थे | उन्होंने अपनी जीवनी 'WINGS OF FIRE ' युवाओं के मार्गदर्शन के लिए ही लिखी है | जैसा कि सबको पता था कि ये लिखा करते थे , इनकी कुछ पुस्तके जैसे ' GUIDING SOULS- DIALOGUES OF PURPOSE OF LIFE ' आत्मिक चिंतन के लिए , 'INDIA 2020' भारत के राजनैतिक उत्थान के लिए लिखी है |वे तमिल में कवितायेँ भी लिखा करते थे | वे अन्तरिक्ष की दुनिया में भारत को सर्वोपरी राष्ट्र के रूप में देखना चाहते थे | वे चाहते थे कि तकनिकी रूप से भारत कभी भी किसी भी देश पर निर्भर न रहे |

अब्दुल कलाम ने जीवन भर ब्रह्मचर्य का पालन किया था | वे भगवद गीता और कुरआन का अध्ययन अपने आत्मिक उत्थान के लिए किया करते थे ! अब्दुल कलाम जैसा व्यक्तित्व खो कर भारत ने बहुत कुछ खो दिया | भारत ने एक आत्मिक चिन्तक, एक मार्गदर्शक, एक आदर्श नेता, एक वैज्ञानिक और न जाने क्या क्या खो दिया | देश इनके योगदान के लिए सदैव इनका ऋणी रहेगा | हम युवाओं का कर्तव्य है कि जो स्वप्न अब्दुल कलाम ने देखा कि भारत 2020 में विश्वगुरु बने तो उसे पूर्ण करने में योग दान दे, यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी |

-हंसराज मीणा

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