गौरव कुमार
नौगढ़.नक्सल प्रभावित क्षेत्र नौगढ़ के बोदलपुर ग्राम में ब्लाॅक को-आर्डिनेटर ज्ञानेन्द्र प्रताप साहनी के नेतृत्व में ओ.डी.एफ. की बैठक सम्पन्न की गयी। जिसमें खुले में शौच मुक्ति (ओ.डी.एफ.) के लिए निगरानी समिति का गठन किया गया। बैठक में ज्ञानेन्द्र प्रताप साहनी ने बताया कि दुनिया में सर्वाधिक लोग दूषित जल से होने वाली बीमारियों से पीड़ित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकड़े बताते हैं कि दुनिया में प्रतिवर्ष करीब 6 करोड़ लोग डायरिया से पीड़ित होते हैं, जिनमें से 40 लाख बच्चों की मौत हो जाती है। डायरिया और मौत की वजह प्रदूषित जल और गंदगी ही है। अनुमान है कि विकासशील देशों में होने वाली 80 प्रतिशत बीमारियां और एक तिहाई मौतों के लिए प्रदूषित जल का सेवन ही जिम्मेदार है। प्रत्येक व्यक्ति के रचनात्मक कार्यों में लगने वाले समय का लगभग दसवां हिस्सा जलजनित रोगों की भेंट चढ़ जाता है। यही वजह है कि विकासशील देशों में इन बीमारियों के नियंत्रण और अपनी रचनात्मक शक्ति को बरकरार रखने के लिए साफ.सफाई एवं स्वास्थ्य और पीने के साफ पानी की आपूर्ति पर ध्यान देना आवश्यक हो गया है। निश्चित तौर पर साफ पानी लोगों के स्वास्थ्य और रचनात्मकता को बढ़ावा देगा। कहा भी गया है कि सुरक्षित पेयजल की सुनिश्चितता जल जनित रोगों के नियंत्रण और रोकथाम की कुंजी है। उन्होंने कहा कि खुले में शौच से जल की गुणवत्ता खत्म हो जाती है और यह पीने के लायक नहीं रहता। इससे बीमारियां होने की भी संभावनाएं ज्यादा होती हैं। जल गुणवत्ता में एक खास पहलू है कि इसमें मल की मौजूदगी नहीं होनी चाहिए। इसलिए जब पेयजल की बैक्टीरियोलॉजिकल जांच की जाती है तो उसमें सबसे पहला उद्देश्य मल प्रदूषण की उपस्थिति की जांच करना होता है। एक खास तरह का बैक्टीरिया मानव मल की जल में उपस्थिति के संकेत देता है, जिसे ई.कोलाई कहते हैं। हालांकि खुले में पड़े हुए मल से न केवल भू.जल प्रदूषित होता है, बल्कि कृषि उत्पाद भी इस प्रदूषण से अछूते नहीं रहते। यही मल डायरिया, हैजा, टाइफाइड जैसी घातक बीमारियों के कीटाणुओं को भी फैलाता है। उचित शौचालय न केवल प्रदूषण और इन बीमारियों से बचने के लिए जरूरी है बल्कि एक साफ.सुथरे सामुदायिक पर्यावरण के लिए भी जरूरी हैं क्योंकि शौचालय ही वो स्थान है, जहां मानव मल का एक ही स्थान पर निपटान संभव है। जिससे पर्यावरण साफ.सुथरा सुरक्षित रखा जा सकता है। इससे मानव मल में मौजूद जीवाणु हमारे जल, जंगल, जमीन को प्रदूषित नहीं कर पाते हैं। जल, स्वच्छता, स्वास्थ्य, पोषण और लोगों की भलाई ये सब आपस में जुड़े हुए हैं। प्रदूषित जल का पीना, मल का ठीक से निपटान न करना, व्यक्तिगत और खाद्य पदार्थों के स्वास्थ्य और सफाई की कमी, कचरे का ठीक से प्रबंधन न होना भारत में बीमारियों की सबसे बड़ी वजह है। यहां हर साल लगभग 5 करोड़ लोगों को जल जनित बीमारियों का शिकार होना पड़ता है। दूषित पेयजल से स्वास्थ्य को जो सबसे बड़ा और आम खतरा है वो है मानव और पशु मल और उसमें मौजूद छोटे.छोटे जीवांश का संक्रमण। आमतौर पर जिन्हें ई.कोलाई के नाम से जानते हैं। वैज्ञानिक परीक्षणों ने भी यह साबित कर दिया है कि खुले में शौच को रोककर और गांवों को निर्मल बनाकर ही हम न केवल पेयजल के प्रदूषण को कम कर सकते हैं बल्कि इससे गांव प्रदूषण मुक्त होने के साथ.साथ डायरिया, हैजा, टाइफाइड और अन्य संक्रामक रोगों से भी मुक्त होंगे। बेहतर स्वच्छता सुविधाएं लोगों के स्वास्थ्य को ही नहीं बल्कि उनके आर्थिक और सामाजिक विकास को भी बेहतर बनाती हैं। अन्त में उन्होंने समस्त ग्रामवासियों से अपील की कि खुले में शौच न करें। शौच के शौचालय का प्रयोग करें। ताकि ग्राम महामारी जैसी भयंकर विपदा का सामना न करना पड़े और पर्यावरण का संतुलन बना रहे। बैठक में ग्राम प्रधान राममूरत यादव, सिक्रेटरी कृपा राम दीक्षित, ए.एन.एम. आशा पाण्डेय, पंचायत मित्र जयप्रकाश, आंगनबाड़ी निर्मला देवी, विजय, जामवन्त, बलवंत, विकास, विनोद, रविना, बदामी सहित अन्य ग्रामीण मौजूद रहे।
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