नई दिल्ली.पाटीदार अनामत आन्दोलन में भाजपा सरकार द्वारा की गई ज्यादतियों को पाटीदार समाज भूल नही पा रहा है,यही कारण है कि भाजपा का परम्परागत वोट बैंक रहे पाटीदार समाज ने भाजपा और मोदी की नीद को उड़ा दिया है .गुजरात के पाटीदार समाज ने भाजपा सरकार के द्वारा हुई ज्यादतियों का विरोध करने का नायब तरीका अख्तियार कर लिया है ,समाज ने गावो के मुख्य प्रवेश द्वार पर भाजपा नेताओ व एजेंटो को गाव में दाखिल होने पर प्रतिबन्ध लगा दिया है .भाजपा में बड़ी संख्या में पाटीदार नेताओं के होने के बाद भी ग्रामीण स्तर पर तंगहाली में जी रहा पाटीदार प्रधानमंत्री मोदी के बहकावे में आकर भाजपा को वोट देने के लिए कतई अब तैयार नहीं है.
गुजरात चुनाव भाजपा -कांग्रेस दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा चुनाव प्रचार में सबसे ज्यादा गुजरात के विकास मॉडल को ही महिमा मंडित कर वाहवाही लूटा था.लेकिन पाटीदार अनामत आंदोलन में हार्दिक पटेल, ओबीसी आंदोलन में अल्पेश ठाकोर औऱ दलित-मुस्लिम आंदोलन के दौरान जिग्नेश मेवाणी ने मोदी जी के विकास के दावे की हवा निकाल कर रख दी.
पाटीदार अनामत आंदोलन के दौरान पुलिस की गोलियों और लाठियों के शिकार हुए पाटीदार युवाओं के परिजन अब अपने गांवों में भाजपा के किसी नेता को घुसने नहीं देना चाहते. इसलिए गुजरात के पाटीदार बाहुल्य कई गांवों में स्थानीय लोगों और ग्रामीणों ने भाजपा के लोगों को गांव के अंदर प्रवेश करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है.
गुजरात निवासी और गुजरात के 3 बार मुख्यमंत्री रहे प्रधानमंत्री के लिए यह एक असहज स्थिति है, पिछले चुनावों में जो पटेल समुदाय भाजपा का प्रबल समर्थक रहा, आज उसने ही इस बार ‘भाजपा हराओ’ का नारा बुलंद किया है.
पटेल समुदाय का नेतृत्व करने वाले हार्दिक पटेल हर रोज भाजपा पर जमकर निशाना साध रहे हैं. गुजरात की कुल आबादी 6 करोड़ 27 लाख है. इसमें पटेल-पाटीदार की संख्या तकरीबन 20 फीसदी है .
गुजरात में पटेलों में दो उप-समुदाय हैं. इनमें एक लेउवा पटेल और दूसरा कड़वा पटेल. हार्दिक पटेल कड़वा पटेल समुदाय से हैं. पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल लेउवा समुदाय से आते हैं, जिनकी राजनीति खत्म करने का आरोप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर लगता रहा है.
1990 के दशक से शंकर सिंह बाघेला की कांग्रेस सरकार में राजपूत जाति के बढ़ते वर्चस्व से आजिज आकर दो-तिहाई से ज्यादा पटेल, भाजपा के पक्ष में वोट करते आ रहे हैं.पाटीदार समुदाय में लेउवा का हिस्सा 60 फीसदी और कड़वा का हिस्सा 40 फीसदी है. कांग्रेस को कड़वा के मुकाबले लेउवा से ज्यादा समर्थन मिलता रहा है. पाटीदार समुदाय संगठित होकर मतदान करता है.
पिछले चुनाव 2012 के आंकड़े को देखें तो लेउवा पटेल के 63 फीसदी और कड़वा पटेल के 82 फीसदी वोट भाजपा की झोली में गिरे थे .
पटेल अनामत आन्दोलन के नेता हार्दिक पटेल ने बिगत वर्ष पटेल-पाटीदार समुदाय को ओबीसी की लिस्ट में शामिल कराने की गुहार लगाई थी , ताकि शिक्षा और नौकरी में उन्हें आरक्षण मिल सके,किन्तु गुजरात सरकार ने मांगो पर विचार करने की बजाय पाटीदारो पर दमन का इस्तेमाल किया था .भाजपा के कुकर्मो का खुलासा करने वाले हार्दिक ने इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अल्टीमेटम देते हुए पूछा है कि कांग्रेस बताए कि सत्ता में आने के बाद पाटीदारों के संवैधानिक आरक्षण के लिए वो क्या करेगी?
यह मांग कांग्रेस के लिए भी एक चुनौती है क्योंकि हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए पिछड़े वर्ग के नेता अल्पेश ठाकोर लगातार पाटीदारों को OBC कोटे में से आरक्षण देने के विरोध में रहे हैं और यही उनकी राजनीति का मुख्य आधार रहा है.
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