उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव का आज लंबी बीमारी के बाद लखनऊ के संजय गांधी पीजीआइ में निधन हो गया। 89 वर्ष के रामनरेश यादव मध्य प्रदेश के राज्यपाल भी रहे थे। उनको 18 नवंबर को संजय गांधी पीजीआइ में भर्ती कराया गया था। जहां पर उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ और आज सुबह करीब नौ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
उनका पार्थिव शरीर लखनऊ में उनके सरकारी आवास माल एवेन्यु रोड में जनता के दर्शन के लिए रखा गया है। उनका अंतिम संस्कार बुधवार को उनके गृह जिले आजमगढ़ में किया जाएगा। स्वर्गीय रामनरेश यादव का अंतिम संस्कार उनके पैतृक जिले आजमगढ़ में कल होगा। लखनऊ से आज देर रात उनका पार्थिव शरीर आजमगढ़ भेजा जाएगा। जहां पर कल सुबह जनता इण्टर कॉलेज में उनके अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। शाम को चार बजे से अंतिम संस्कार होगा। यह जानकारी उनके भतीजे अजय यादव ने दी।
रामनरेश यादव का सितंबर में मध्य प्रदेश के राज्यपाल पद का कार्यकाल समाप्त हुआ था। वह मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले में नाम आने के बाद विवादों में भी थे। एसटीएफ ने रामनरेश यादव के खिलाफ इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी। लंबे समय से बीमार चल रहे यादव को सांस लेने में दिक्कत के बाद पीजीआई में भर्ती करवाया गया था।
मध्य प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नरेश यादव को पीजीआई के पोस्ट आप आईसीयू में सितंबर के प्रथम सप्ताह में विमान से लाया गया था। वह आईसीयू में भर्ती किए गए थे। कुछ दिनों बाद उन्हें स्वास्थ्य लाभ होने पर छुट्टी दे दी गई थी। फिर दोबारा उन्हें अक्टूबर माह में उन्हें सांस लेने व अन्य दिक्कतों की वजह से सीसीएम में भर्ती किया गया था। जहां उनका सुबह नौ बजे के करीब निधन हो गया। पीजीआई के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अमित अग्रवाल ने बताया कि उन्हें कई प्रकार की दिक्कत थी। सांस लेने में भी तकलीफ थी। मल्टीपल बीमारी का इलाज चल रहा था। उत्तर प्रदेश सरकार ने उनकी अंत्येष्टि राजकीय सम्मान के साथ कराने का निर्णय लिया है। इस दौरान प्रदेश में ध्वज आधे झुके रहेंगे।
यादव का जन्म एक जुलाई 1927 को यूपी के आजमगढ़ में हुआ था।रामनरेश पहली बार चौधरी चरण सिंह की मदद से 1977 में जनता पार्टी के सीएम बने थे। अपने राजनीतिक जीवनकाल में वे कई अहम् पदों पर रहे. हालांकि मध्यप्रदेश के गवर्नर रहते उनका नाम व्यापमं घोटाले से जुड़ा, इसके बाद उन्हें गवर्नर पद से हटाने की मांग उठी थी। ऐसा माना जा रहा है कि अब उनके निधन के बाद इस घोटाले से जुड़ीं कई राज भी दफ़न हो गए। बीते साल व्यापमं घोटाले में आरोपी रामनरेश के बेटे शैलेष (52) की संदिग्ध हालत में मौत हो गई थी।पोस्टमार्टम करने वाली टीम ने उनकी मौत का कारण जहर बताया था.
रामनरेश यादव शुरूआती जीवन से ही समाजवादी आन्दोलन से जुड़े रहे। दरअसल इन्हें राजनीति विरासत में मिली थी। उनके पिता गया प्रसाद महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू और डॉ. राममनोहर लोहिया के साथ जुड़े थे। इमरजेंसी के दौरान वे मीसा और डीआईआर के अधीन जून 1975 से फरवरी 1977 तक आजमगढ़ जेल और केंद्रीय कारागार नैनी, इलाहाबाद में बंद रहे। रामनरेश 1988 में राज्यसभा सदस्य बने और 12 अप्रैल 1989 को राज्यसभा के अंदर डिप्टी लीडरशिप, पार्टी के महामंत्री और अन्य पदों से त्यागपत्र देकर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की सदस्यता ली।
मूलत: आजमगढ़ जिले के फूलपुर तहसील के आंधीपुर गांव निवासी सादगी पसंद नेता रामनरेश यादव 1977 में जनता दल की सरकार में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। रामनरेश यादव का जन्म आजमगढ़ में हुआ था और उनके पिता टीचर थे। यादव ने आजमगढ़ कोर्ट में वकील के तौर प्रैक्टिस भी की थी। इसके बाद 8 सितंबर 2011 में मध्य प्रदेश के राज्यपाल बने और 8 सितंबर 2016 को कार्यकाल समाप्त हुआ।साभार (जेएनएन)