अक्सर मन करता है कि मोदीजी पर निशाना साधने वाले विरोधियों का थुथुन तोड़ दूं. नरेंद्र भाई मोदीजी केवल प्रधानमंत्री नहीं बल्कि इस देश की धरोहर हैं. और ऐसे धरोहर कि मन करता है इन्हें कहीं धर दो और कोई हर ले जाए. खैर, बेईमान क्या जाने ईमानदारी और नैतिकता क्या होती है? यह केवल मोदीजी से सीखा जा सकता है. पूरे धरा पर मोदीजी जैसा ईमानदार ढूंढे नहीं मिलेगा. यह मोदीजी की ईमानदारी है कि वह दसियों साल सीएम रहे, पिछले साढ़े तीन साल से पीएम हैं, लेकिन उनका परिवार आज भी मुश्किल हालात में जी रहा है. सोचो भाइयों जो व्यक्ति इतने साल में अपने परिवार की हालत नहीं बदल सका, वह देश और देशवासियों के हालात बदलने के लिए कितना मेहनत कर रहा है? कितना जूझ रहा है? कोई बदलाव एकदम से नहीं आता, समय लगता है. अभी अडानी, अंबानी, बाबा रामदेव का नंबर है विकास करने का, इसके बाद देशवासियों का ही नंबर है.
यह देश का सौभाग्य है कि हमारे पास मोदीजी हैं, जो सोते-जागते, बिना छुट्टी लिए बस गरीब जनता के बारे में ही सोचते हैं. विदेश भी जाते हैं तो बस देश और गरीबों के बारे में ही चिंतित रहते हैं, नहीं तो लालू-सुखराम-करुणानिधि को देख लीजिए, कितना कुछ बदल लिए अपना और परिवार का, लेकिन मोदीजी हैं कि कुछ नहीं बदल पाए. ना तो परिवार का ना ही देश का. लालू तो अपने सालों का भी किस्मत बदल दिया. मोदीजी ने अडानी की किस्मत बदली तो वह भी केवल युवाओं को रोजगार देने के लिए, युवाओं की बात नहीं होती तो वह कतई ऐसा नहीं करते. युवाओं के लिए तो वह अंबानी का भी विकास करा सकते हैं. वह काम ही केवल और केवल युवाओं और गरीबों के लिए करते हैं. ऐसा करना केवल और केवल मोदीजी जी जैसे तपस्वी के लिए ही संभव है. मोदीजी जब भी गरीबों के बारे में सोचते हैं, उनके विरोधियों का हाजमा खराब हो जाता है. मोदीजी हर समय बस गरीबों के बारे में ही सोचते रहते हैं. वैसे सोचने में जाता भी क्या है?
अरे विरोधियों, मोदीजी बनने के लिए नैतिकता साथ होनी चाहिए, यह उनका ही नैतिक बल है कि आज सुखराम जैसे पापी मनुष्य को भाजपा से जोड़ कर पवितर कर दिया है. मोदीजी सबका भला करने वाले इंसान हैं. जो दूसरे दलों में अपवित्र होते हैं, उन्हें अपनी पार्टी में लाकर पवितर कर देते हैं. भाजपा तो साक्षात गंगा और मोदीजी नीलकंठ. यह हमारा सौभाग्य है कि इनके जैसा व्यक्तित्व हमारी धरती पर अवतार लिया. यह अवतरित न हुए होते तो आज देश का विकास नहीं हो पाया होता. देश जितना विकसित हुआ है, यह सब मोदीजी और उनके फेसबुक-टि्वटर और वाट्अप साथियों की वजह से पिछले तीन सालों में हुआ है. विरोधियों को विकास नजर नहीं आता क्योंकि उनकी आंख पर टीन का चश्मा लगा हुआ है. विकास देखना हो तो नजर भी वैसी ही हवा-हवाई होनी चाहिए. चार साल पहले रमेश, सुरेश, महेश, कलेश, विमलेश आदि-इत्यादि रिक्शा चालक, मजदूर महानगरों में जाकर सिमेंटेड फुटपाथ पर सोते थे. मोदीजी के सबका साथ सबका विकास लागू होने के बाद अब वह टाइल्स लगे फुटपाथ पर सो रहे हैं. क्या यह विकास नहीं है?
मोदीजी ने समानता को ध्यान में रखते हुए नोटबंदी से कई छोटे-मोटे दुकानदारों को भी फुटपाथ पर ला दिया है, लेकिन विरोधियों को यह सब नजर नहीं आएगा, उन्हें तो केवल उनका विरोध करना है, चाहे जैसे भी हो. तपस्वी मोदीजी फकीर आदमी हैं. एक फकीर को भला किसकी चिंता होती है. मोदीजी कह भी चुके हैं, झोला उठाएंगे चले जाएंगे. जाहिर है, कुछेक हजार कपड़ों के अलावा उनके पास और है भी क्या? हिमालय चले जाएंगे. मोदीजी अपने वादे के पक्के हैं, उन्होंने देश से गरीब मिटाने की कसम खाई तो मिटाकर ही दम लेंगे, चाहे अंबानी-अडानी-रामदेव को कितना भी लाभ पहुंचाना पड़े मोदीजी पीछे नहीं हटेंगे. कांग्रेस ने तो देश से बहुत पहले गरीबी मिटा दी थी, बस गरीब बचे रह गए थे, उसे मोदीजी मिटा देंगे. आप उनपर भरोसा कर सकते हैं. इसी प्रयास में राहुल गांधी ने कलावती और इनके जैसे गरीबों की खोज की थी. अब राहुल की खोज को मोदीजी के नेतृत्व में अमित भाई शाह गरीब के घर भोजन ठूंसकर आगे बढ़ा रहे हैं.
मोदीजी से विरोधी इसलिए जलते हैं, क्योंकि वह उनके अभिनय की बराबरी कर पाने में उनको पसीने निकल आते हैं. संसद की सीढि़यों पर माथा टेकने का भावुक अंदाज, आडवाणीजी के सामने आंसुओं की बरसात, नोटबंदी के समय भरपूर कामेडी और वडनगर जाकर मिट्टी से तिलक लगाना, अदाकारी का कौन सा रंग नहीं है इसमें. क्या अमिताभ ऐसा जीवंत अभिनय कर पाते होंगे. दरअसल, मोदीजी गलत फील्ड में चले आए. अगर वह अभिनय की दुनिया में होते तो वहां भी बादशाहत हासिल कर चुके होते. खैर, विरोधी कभी समझ नहीं पाएंगे. मोदीजी के गोद दिए गांव, स्मार्ट सिटी, वापस आ चुका काला धन बताते हैं कि मोदीजी जो मन में ठान लेते हैं, कर के छोड़ते हैं. मोदीजी अपने मन की ही करते हैं, किसी और के मन की सुनते नहीं. इतिहास में बताया भी गया है कि भूगोल में 55 इंच से ज्यादा कोई भी चीज दूसरे की बात नहीं सुनती है, बस अपने मन की बात कहती है, इसलिए लोग मन में ही ….. लेते हैं.
मोदी विरोधी डीजल-पेट्रोल के दाम बढ़ने पर चिल्लाते हैं. अरे चिरकुटों यह राष्ट्रवादी सरकार है, क्या राष्ट्र के लिए इतना भी कुर्बानी नहीं दे सकते. भाजपा विपक्ष में रहती है तब तेलों का दाम बढ़ना राष्ट्रद्रोह होता है, लेकिन विरोधियों को तो बस विरोध का बहाना चाहिए. मोदी समर्थक सही कहते हैं कि मोदीजी तेल के दाम बढ़ाकर क्या पैसे घर ले जाते हैं, पहले वाली सरकारें तो पैसे घर ले जाती थीं. मोदी सरकार और उसके मंत्री तो बस गरीबों की सोचते हैं. गरीबों के बारे में मोदी सरकार ने इतना सोच दिया है कि गरीब अब अपने बारे में ही नहीं सोचता. राष्ट्रद्रोहियों को नजर नहीं आएगा कि पाकिस्तान अपनी सीमाओं को घिसका कर पीछे चला गया है. चीन डर के मारे डोकलाम में जम गया है. यह मोदीजी का ही डर है कि अब पाकिस्तान सैनिकों के सिर काटकर ले नहीं जाता है, वहीं छोड़ देता है, क्योंकि उसे डर है कि कहीं एक सिर के बदले मोदीजी दस सिर न कटवा डालें
- अनिल सिंह (बरिष्ठ पत्रकार व प्रहार लाइव के संपादक है )
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