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लेखनी के एक शब्द से 1984 में सैकड़ों निर्दोषों की जान चली गई: एके राय

हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर कार्यशाला एवं गोष्ठी का आयोजन


गोंडा। पत्रकारिता दिवस पर पत्रकारों को आत्मचिंतन करने की जरूरत होती है। यह एक ऐसा अवसर है जब पत्रकार को अपनी खामियों को सुनने का मौका मिलता है। सामाजिक व्यवस्था में पत्रकार की लेखनी से जो सन्देश समाज में फैलता है। उसका बहुत त्वरित गति से प्रभाव पड़ता है।
यह बात जिला पंचायत के सभागार में हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि देवी पाटन मण्डल के पुलिस उप महानिरीक्षक अनिल कुमार राय ने कहा कि समाचारों का प्रकाशन और प्रसारण दोनों महत्वपूर्ण है। इन दोनों को प्रकाशित या प्रसारित करते समय पत्रकारों को विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। क्योंकि आप द्वारा लिखे गये एक-एक शब्द का विशेष महत्व होता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हुई। उस समय एक बड़ी एजेन्सी ने प्रसारण किया कि प्रधानमंत्री के सिक्ख अंगरक्षकों ने उन्हें गोली मार दी। अगर सिक्ख शब्द का इस्तेमाल न किया गया होता तो शायद इतने बेगुनाहों की जान न जाती। उन्होंने कहा कि यदि 15 लाख की लूट हो जाती तो समाचार पत्रों में काफी स्थान मिलता है लेकिन यदि किसी गरीब किसान का पम्पसेट चोरी हो जाता है तो उसे या तो स्थान नही मिलता है। यदि मिलता है तो बहुत कोने में, जबकि 15 लाख की लूट होने वाला आदमी करोड़पति होता है। उसकी बीस प्रतिशत क्षति होती है। जबकि किसान की सौ प्रतिशत क्षति होती है।

एसपी उमेश कुमार सिंह ने कहा कि खबरों में निष्पक्षता और सकारात्मकता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को आलोचना पर आत्ममंथन करना चाहिए। प्रभारी जिलाधिकारी सीडीओ दिव्या मित्तल ने कहा कि जब कोई तानाशाह किसी देश पर राज करना चाहता है तो सबसे पहले मीडिया पर प्रहार करता है और यदि मीडिया ने पीठ दिखा दिया तो वह देश खड़ा नही रह सकता है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों और पत्रकारों के बीच संवाद कायम रहना चाहिये क्योंकि संवादहीनता की दशा में ही निगेटिव खबरें प्रकाशित होती है। इसलिए पत्रकारों को अधिकारियांे से निर्भीकता से प्रश्न पूछना चाहिये। बहराइच के अपर पुलिस अधीक्षक रवीन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि समाज के निर्माण में पत्रकारों की महती भूमिका होती है। पत्रकारों को बखूबी से इसका निर्वाहन करना चाहिए।


इसी क्रम में आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित करते राष्ट्रीय पार्षद वरिष्ठ पत्रकार तेज प्रताप सिंह ने कहा कि पत्रकारों को पत्रकारिता की गरिमा बनाने रखना चाहिये बेहतर खबरो को लिखने के लिए आप लोगों को बेहतर अध्ययन भी करना चाहिए। पहले जो पत्रकार होते थे वे ही साहित्य कार अब पत्रकार रिपोर्टर या इनफार्मर बन गये है। इसी क्रम में कार्यशाला को वरिष्ठ पत्रकार एसपी मिश्र ने कहा कि पत्रकार को सत्य व तथ्य की खोज करनी चाहिए। चाटुकारिता से पत्रकारिता कलंकित होती है। कार्यशाला को वरिष्ठ पत्रकार रजा हुसैन रिजवी, राम जियावन शुक्ल, रघुनाथ पाण्डेय, राजीव श्रीवास्तव, अमित श्रीवास्तव तथा कार्यक्रम का संचालन संगठन के महामंत्री जानकी शरण द्विवेदी ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलन और माल्र्यापण से हुआ। फूल माला से स्वागत के बाद सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। अंत में श्रमजीवी पत्रकार युनियन के जिलाध्यक्ष कैलाश नाथ वर्मा ने सभी अगन्तुकांे का आभार व्यक्त किया।

इससे पूर्व पुलिस उप महानिरीक्षक अनिल कुमार राय एवं मुख्य विकास अधिकारी दिव्या मिततल, अपर जिलाधिकारी त्रिलोकी सिंह ने दीप प्रज्जवलित कर एवं सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।

इस अवसर पर हरि नरायण शुक्ल, संजय तिवारी, राजू मौर्या, महेन्द्र तिवारी, वरुण यादव, घनश्याम, योगेश पाण्डेय, विनोद तिवारी, आरसी पाण्डेय, अशोक कुमार सिंह, राज मंगल सिंह, लखन लाल शुक्ल, राज कुमार सिंह, अनुराग सिंह, आलोक श्रीवास्तव, उमेश श्रीवास्तव, मथुरा प्रसाद मिश्र, उमानाथ तिवारी, इरफान, उमानाथ तिवारी, पवन कुमार मिश्रा, जितेन्द्र पाण्डेय, उमापति गुप्ता, पीएन मिश्रा, चन्दा नरायण राव, दिलीप गुप्ता, समाज सेवी धर्मवीर आर्य, राजेन्द्र शर्मा, ओम चन्द्र शर्मा, शनीस श्रीवास्तव, उमेश मिश्रा, बजरंग त्रिपाठी, नन्द किशोर मौर्या, मनी राम वर्मा, आरपी सिंह, पूरन चन्द्र गुप्ता, आरके मिश्रा, धीरेन्द्र सिंह विशेन, राजेन्द्र, एनके वर्मा सहित सैकड़ों की संख्या में मौजूद रहे।

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